बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 1 दिसंबर 2014 को वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) की स्थापना के लिए 123 संस्थानों को अनुमती दे दी.
जुलाई 2012 के बाद से ये 123 वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में पंजीकृत हैं.
इनमें से करीब 34 संस्थानों को संचालन करने के लिए 2014 में सेबी से मंजूरी मिली, जबकि 67 संस्थानों को 2013 में और बाकी बचीं 22 को 2011 में संचालन अनुमति मिली थी.
नवंबर 2014 में सेबी में पंजीकृत एआईएफ हैं– रेलिगेर डायनामिक ट्रस्ट, इंडस वे इमर्जिंग मार्केट फंड और कारपेडियम कैपिटल पार्टनर्स फंड. अक्टूबर 2014 में पंजीकृत एआईएफ हैं–सिंगुलर इंडिया ऑपर्चूनिटी ट्रस्ट.
वैकल्पिक निवेश कोष क्या है?
एआईएफ मूल रूप से पूर्वनिर्धारित नीतियों के अनुसार निवेश हेतु भारतीय एवं विदेशी निवेशकों से पूंजी संयोजन (पूलिंग) के उद्देश्य से भारत में स्थापित किया गया था.
सेबी के दिशानिर्देशों के तहत, एआईएफ मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में काम कर सकते हैं. सेबी के नियम सभी एएफआई जिसमें अन्य फंड्स के अलावा निजी इक्विटी फंड, रीयल स्टेट फंड और हेज फंड के तौर पर संचालन करने वाले सभी पर लागू होगें.
श्रेणी I: एआईएफ वैसे कोष होते हैं जिन्हें सरकार, सेबी या अन्य नियामकों से प्रोत्साहन मिलता है और इसमें सामाजिक वेंचर फंड, इंफ्रास्ट्रक्चर फंड, वेंचर कैपिटल फंड और एसएमई फंड होते हैं.
श्रेणी III : वैसे एआईएफ जो अल्पकालिक रिटर्न के लिए कारोबार करते हैं। इसमें अन्य फंड्स के अलावा हेज फंड शामिल है.
श्रेणी II: एआईएफ किसी भी जगह किसी भी संयोजन में निवेश कर सकते हैं लेकिन वे अपने दैनिक संचालन जरूरतों को पूरा करने के अलावा ऋण नहीं ले सकते.
इन एएफआई में प्राइवेज इक्विटी फंड, डेट फंड या फंड ऑफ फंड्स होते हैं. साथ ही उपरोक्त दोनों श्रेणियों के दायरे से बाहर के अन्य सभी फंड इसी श्रेणी में आते हैं.
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