भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (जीएसएलवी डी 5) का स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन के साथ 5 जनवरी 2014 को सफल प्रक्षेपण किया. इस प्रक्षेपण के साथ ही भारत यह उपलब्धि हासिल करने वाले देशों की श्रेणी में शामिल हो गया. इस प्रक्षेपण के साथ ही इसरो (भारत) अमेरिका, रूस, जापान, चीन और फ्रांस के बाद विश्व की छठी अंतरिक्ष एजेंसी बन गया जिसने स्वदेशी क्रायोजेनिक इंजन का सफल प्रक्षेपण किया.
इसरो प्रमुख के राधाकृष्णन के अनुसार जीएसएलवी डी 5 जीसैट-14 संचार उपग्रह को कक्षा में ठीक तरीके से स्थापित कर दिया.
भूस्थैतिक उपग्रह प्रक्षेपण वाहन (जीएसएलवी डी 5) से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• जीएसएलवी डी 5 का प्रक्षेपण 19 अगस्त 2013 को किया जाना था लेकिन ईंधन लीक होने के बाद अंतिम समय में प्रक्षेपण स्थगित कर दिया गया था.
• यह प्रक्षेपण भारत की ओर से जीएसएलवी का आठवां प्रक्षेपण है और यह जीएसएलवी की चौथी उड़ान है.
• जीएसएलवी डी-5 49.13 मीटर लंबा और 415 टन वजनी है. इस पर 365 करोड़ रुपये की लागत आई.
• जीएसएलवी ठोस, तरल और क्रायोजेनिक स्टेज के साथ तीन चरणों वाला प्रक्षेपण यान है.
• इस उड़ान के दौरान स्वदेश विकसित क्रायोजेनिक अपर स्टेज (सीयूएस) का दूसरी बार उड़ान परीक्षण किया गया.
• स्वदेशी क्रायोजेनिक अपर स्टेज की डिजाइन और विकास की परिकल्पना इसरो की क्रायोजेनिक अपर स्टेज परियोजना ने की. जिससे रूस से हासिल किए गए स्टेज को बदला जा सके और जीएसएलवी के प्रक्षेपणों में उसका उपयोग किया जा सके.
जीसैट-14 से सम्बंधित मुख्य तथ्य
• जीसैट 14 उपग्रह का वजन 1982 किलोग्राम है.
• जीसैट-14 भारत का 23 वां भूस्थिर संचार उपग्रह है.
• जीसैट-14 के चार पूर्ववर्तियों का प्रक्षेपण जीएसएलवी ने 2001, 2003, 2004 और 2007 में किया था.
• जीसैट-14 भारत के नौ ऑपरेशनल भूस्थिर उपग्रहों के समूह में शामिल होगा.
• जीसैट-14 को 74 डिग्री पूर्वी देशांतर पर स्थापित किया जाएगा और इनसैट-3 सी, इनसैट-4 सीआर और कल्पना-1 उपग्रहों के साथ स्थित होगा.
• जीसैट-14 पर मौजूद 12 संचार ट्रांसपोंडर इनसैट, जीसैट प्रणाली की क्षमता को और बढ़ाएंगे.
• जीसेट-14 का वजन 2 टन है. इस कारण से इसे पीएसएलवी से लॉन्च नहीं किया जा सकता. पीएसएलवी मात्र 1.4 टन वजनी सेटेलाइट को ही ले जा सकता है.
इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य
इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य विस्तारित सी और केयू—बैंड ट्रांसपोंडरों की अंतर्कक्षा क्षमता को बढ़ाना और नये प्रयोगों के लिए मंच प्रदान करना है.
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