आयुर्वेदिक औषधियों का कारोबार करने वाली हिमालया ड्रग कंपनी ने लिव-52 दवा पर ट्रेडमार्क के अधिकार पर 15 वर्ष पुराना मुकदमा जीता. दिल्ली उच्च न्यायालय ने होम्योपैथिक फर्म एसबीएल लिमिटेड को ट्रेडमार्क के उल्लंघन का दोषी मानते हुए हिमालया ड्रग कंपनी के पक्ष में निर्णय दिया. एसबीएल लिमिटेड अपनी दवा को लिव-टी नाम से बेच रही थी.
न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग तथा न्यायाधीश मनमोहन सिंह की पीठ ने इस मामले में इसी न्यायालय की एकल पीठ के तीन जून 2010 को दिए गए आदेश को खारिज कर दिया, जो एसबीएल लिमिटेड के पक्ष में था.
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