जल चक्र

जल चक्र, पृथ्वी के ऊपर जल के अस्तित्व और गति के बारे में वर्णन करता है | पृथ्वी का पानी हमेशा गतिमान रहता है और सदैव अपनी अवस्थाएँ बदलता रहता है अर्थात तरल से वाष्प रूप में व वाष्प से बर्फ में और फिर वापस तरल अवस्था में | जल चक्र अरबों वर्षों से काम कर रहा है और पृथ्वी पर सभी जीव कार्य करने के लिए इस पर निर्भर हैं; इसके बिना पृथ्वी बिलकुल नीरस हो जाएगी |

Hemant Singh
Dec 10, 2015, 17:14 IST

जब बारिश होती है, पानी जमीन के समानांतर चलता है और नदियों में प्रवाहित होता है या सीधे समुद्र में गिर जाता है। वर्षा जल का एक भाग जो भूमि पर गिरता है,वह जमीन में रिस जाता है । साल भर इसी तरह जल भूमिगत रूप में संग्रहीत हो जाता है ।  जल के साथ पौधों द्वारा मिट्टी से पोषक तत्वों को भी खींच लिया जाता है । पानी जल वाष्प के रूप में पत्तियों से उड़ जाता है और वातावरण में वापस चला जाता है । वाष्प हवा से हल्की होती है अतः जल वाष्प ऊपर उठती है और बादलों का रूप ले लेती है। हवाएँ लंबी दूरी तक बादलों को उड़ा कर ले जाती हैं और जब बादल अधिक ऊपर उठ जाते हैं तो वाष्प संघनित हो जाती है और बादल बन जाती हैं जो बारिश के रूप में जमीन पर गिरती हैं।यद्यपि यह एक अंतहीन चक्र है जिस पर जीवन निर्भर करता है| मानव गतिविधियां के कारन होने वाले प्रदूषण के जरिये वातावरण में भारी बदलाव आ रहा है जो वर्षा के स्वरूप में फेरबदल कर रहा है |

वाष्पीकरण क्या है और यह क्यों होता है?

वाष्पीकरण एक प्रक्रिया है जिसमें पानी तरल रूप से गैस या वाष्प में बदल जाता है । वाष्पीकरण प्राथमिक मार्ग है जिसमें होकर तरल जल वायुमंडलीय जल वाष्प के रूप में जल चक्र में शामिल होता है। अध्ययनों से यह पता चलता है कि महासागरों, समुद्र, झीलों और नदियों से होने वाला वाष्पीकरण 90 प्रतिशत वातावरणीय नमी प्रदान करता हैं, शेष 10 प्रतिशत नमी पौधों से होने वाले वाष्पोत्सर्जन से प्राप्त होती है |

वाष्पोत्सर्जन:

पौधे की पत्तियों से पानी का मुक्त होना

वाष्पोत्सर्जन एक प्रक्रिया है जिसमें पौधों की जड़ों से पत्तियों पर स्थित छोटे छिद्रों तक नमी को ले जाया जाता है,जहां ये भाप में परिवर्तित हो कर वातावरण में चली  जाती है | वाष्पोत्सर्जन अनिवार्य रूप से पौधों की पत्तियों से पानी का वाष्पीकरण है | एक अनुमान के अनुसार वातावरण में पाई जाने वाली 10% नमी वाष्पोत्सर्जन के द्वारा पौधों से प्राप्त होती है |

पौधों से होने वाला वाष्पोत्सर्जन एक अदृश्य प्रक्रिया है : जैसे कि पानी का वाष्पीकरण पत्तियों की सतह से होता है, तो आप बाहर जाकर पत्तियों को श्वास लेते हुए नहीं देख सकते |बढ़ते मौसम के दौरान, एक पत्ती कई बार अपने स्वयं की वज़न की तुलना में अधिक पानी को भाप बनाकर उड़ाती  हैं | एक बड़ा शाहबलूतका(ओक ) का वृक्ष प्रति वर्ष 40,000 (1510000 लीटर ) गैलन पानी भाप बना कर उड़ा देता है |

संघनन: वह प्रक्रिया जिसके द्वारा पानी भाप से तरल अवस्था में बदल जाता है |

संघनन वह प्रक्रिया है जिसमें वायु में मौजूद जलवाष्प तरल पानी में बदल जाता है। यह बादलों के गठन के लिए जिम्मेदार और संघनन जल चक्र के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि ये बादलों के रचना के लिए उत्तरदायी हैं।ये बादल वर्षा की उत्पत्ति करते हैं जोकि जल चक्र के भीतर पृथ्वी की सतह पर जल के वापस आने का प्राथमिक मार्ग हैं | संघनन वाष्पीकरण के विपरीत क्रिया है।

संघनन जमीनी स्तर के कोहरे के लिए जिम्मेदार है जिसमें आपके ठंडे कमरे से बाहर गरम और नमी वाले दिन बाहर जाने पर आपके  चश्मे में कोहरा जम जाता है, ठंडी चाय के गिलास के बाहर पानी का टपकना, तथा ठंड के दिनों में घर की खिड़कियों में अंदर की तरफ पानी का कोहरा बनना शामिल है |

वर्षा: पानी का तरल या ठोस अवस्था में वातावरण से बाहर, जमीन या पानी की सतह पर गिरना|

वर्षण बादल से निकला हुआ पानी है जो स्लीट,वर्षा,हिम व ओले आदि के रूप में रिथ्वी पर गिरती है । यह जल चक्र में प्राथमिक संयोजन है जो पृथ्वी के वायुमंडल में जल का वितरण  करती  है |

भूमि के ऊपर तैरते बादलों में जल वाष्प तथा पानी की बूंदें होती हैं जो गाढ़े पानी की छोटी बूँदें होती  हैं। ये  बूंदें वर्षं के रूप में गिरने के लिए काफी चोटी हैं लेकिन वे बादलों के रूप में दिखने के लिए काफी बड़े होते हैं । पानी लगातार आकाश में  वाष्पित  और  संघनित हो रहा है। यदि आप ध्यान से  बादल को देखें तो आप पाएंगे कि बादल के कुछ भाग (वाष्पन से) गायब हो रहा है जबकि कुछ भाग (संघनन से) बढ़ रहा है । ज़्यादातर बादलों में संघनित पानी वर्षण के रूप में नहीं गिरता क्योंकि इनकी गति इतनी तेज़ नहीं होती कि वे वायु के तेज़ वेग को काबू कर  सकें जो बादलों को संभालते हैं । वर्षण के लिए, पहले छोटी पानी की बूंदों को संघनित होना जरुरी है  जिसमे धूल के छोटे कण, नमक, ओर कोहरे के छोटे कण भी शामिल होंगे,जो नाभिक के रूप में  कार्य करते हैं | कणों के टकराने से  पानी की बूंदें जलवाष्प के अतिरिक्त संघनन के रूप में विकसित हो सकती हैं । यदि ज्यादा टकराने के कारण एक तेज़ वेग के साथ बूंदों की उत्पत्ति होती है जोकि बादलों के तेज़ वेग की गति से आगे बढ़ पाएँ तब वह वर्षण के रूप में बादलों से गिरेगा |यह कोई छोटा कार्य नहीं है,इसमे एक वर्षा के बूंद के उत्पादन के लिए,लाखों बादलों की बूंदों की जरूरत होती है |

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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