पिघलते ग्लेशियरों से खेती पर खतरा
एशिया की पांच नदियों पर बुरा असर:
हाल में किए गये एक अध्ययन के अनुसार हिमालय के पिघलते हुए ग्लेशियर एशिया की पांच प्रमुख बड़े नदी क्षेत्रों पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं। अध्ययन के अनुसार पिघलते ग्लेशियर के पानी से तटीय इलाकों में पैदा होने वाली फसलों में कमी आ सकती है। लेकिन साथ ही अध्ययन के नतीजे बताते हैं कि क्षेत्र से बाहर के इलाकों में इसी जल से फसल का उत्पादन बढऩे की संभावना है।
इन नदी क्षेत्रों में होने वाले कुल खाद्य उत्पादन का 4.5 फीसदी पिघलते ग्लेशियरों के कारण खतरे में बताया जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि क्षेत्र के 1 अरब 40 करोड़ से भी ज्यादा लोग फसलों के उत्पादन के लिए सिंधु, गंगा, ब्रह्मपुत्र, यांग्त्से और येलो नदियों के जल पर निर्भर हैं।
हालांकि शोधकर्ताओं का यह भी कहना है कि पिघलते ग्लेशियर सिंधु नदी व ब्रह्मपुत्र नदी के इलाकों में खाद्य सुरक्षा पर खतरा बन सकते हैं, लेकिन गंगा, यांग्त्से और येलो नदी क्षेत्रों में खाद्य उत्पादन ज्यादा प्रभावित नहीं होगा।
ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदियों का जल प्रवाह कम हो सकता है, जिससे छह करोड़ लोगों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। हालांकि येलो नदी में खासतौर पर जल प्रवाह बढ़ेगा, जिससे इलाके को काफी फायदा होगा क्योंकि सिंचाई के मौसम की शुरुआत में वहां अधिकांश जल सूख जाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इन इलाकों में सूखे के कारण सिंचाई के लिए हमेशा रहने वाली पानी की कमी पिघलते ग्लेशियरों से दूर हो सकती है।
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