वातावरण का गैसीय चक्र

वातावरण मे गैसों के होने की वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव हो सकता है। पौधो और वृक्षो को कार्बनडाई आक्साइड से जीवन मिलता है और वृक्ष मनुष्य को जीवन प्रदान करते है। इस तरह से दोनों एक दूसरे पर निर्भर है। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिती मे पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से वातावरण से कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करते है। पौधे अपनी जड़ के द्वारा मृदा से सोखे गए पानी को कार्बनडाई आक्साइड से मिलाते है और अपना भोजन बनाते है।

Hemant Singh
Dec 30, 2015, 11:27 IST

वातावरण मे गैसों के होने की वजह से पृथ्वी पर जीवन संभव हो सकता है। पौधो और वृक्षो को कार्बनडाई आक्साइड से जीवन मिलता है और वृक्ष मनुष्य को जीवन प्रदान करते है। इस तरह से दोनों एक दूसरे पर निर्भर है। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिती मे पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से वातावरण से कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करते है। पौधे अपने जड़ के द्वारा मृदा से सोखे गए पानी को कार्बनडाई आक्साइड से मिलाते है।

कार्बन चक्र : सूर्य के प्रकाश की उपस्थिती मे पौधे अपनी पत्तियों के माध्यम से वातावरण से कार्बनडाई आक्साइड ग्रहण करते है। पौधे अपने जड़ के द्वारा मृदा से सोखे गए पानी को कार्बनडाई आक्साइड से मिलाते है। सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति मे वे कार्बोहाइड्रेट का निर्माण करते है जिसमे कार्बन संचित होता है। इस प्रक्रिया को प्रकाश संश्लेषण कहते है। इस जटिल प्रक्रिया के द्वारा पौधे अपना वृद्धि और विकास करते है। इस प्रक्रिया मे पौधे वातावरण मे ऑक्सीजन छोड़ते है जिस पर जन्तु श्वसन क्रिया के लिए निर्भर रहते है। इसलिए पौधे पृथ्वी के वातावरण मे ऑक्सीजन के प्रतिशत के नियंत्रण और निगरानी मे सहायक होते है।

ऑक्सीजन चक्र : श्वसन क्रिया के दौरान पौधो और जन्तुओं के द्वारा ऑक्सीजन वायुमंडल से लिया जाता है। पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के दौरान वातावरण मे ऑक्सीजन छोडते है। यह ऑक्सीजन चक्र को कार्बन चक्र से जोड़ता है। वनो की कटाई से हमारे वातावरण मे ऑक्सीजन का स्तर तेजी से घट रहा है।

ऑक्सीजन चक्र एक जैव रसायनिक चक्र है जो इसके तीन मुख्य भंडारणों मे ऑक्सीजन की गति की व्याख्या करता है: वातावरण (हवा), जीवमंडल मे जैविक पदार्थो की कुल मात्रा (पूरे पारिस्थितिक तंत्र का वैश्विक योग) और स्थलमंडल (पृथ्वी का आवरण)। जलमंडल मे ऑक्सीजन चक्र की विफलता (पृथ्वी पर, पृथ्वी के ऊपर और पृथ्वी के अंदर जल की मिश्रित मात्रा पायी गयी) के परिणामस्वरूप हायपोक्सिक मण्डल का विकास हो सकता है। ऑक्सीजन चक्र के संचालन का मुख्य कारण प्रकाश संश्लेषण है जो पृथ्वी के आधुनिक वातावरण और पृथ्वी पर जीवन के लिए जिम्मेदार है।

नाइट्रोजन चक्र : भूमि तथा पौधों में विभिन्न विधियों द्वारा वायुमंडल की स्वतंत्र नाइट्रोजन का नाइट्रोजनीय यौगिकों के रूप में स्थायीकरण और उनके पुनः स्वतंत्र नाइट्रोजन में परिवर्तित होने का अनवरत प्रक्रम।

मिट्टी मे नाइट्रोजन युक्त बैक्टीरिया और कवक पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करते है, जो इसे नाइट्रेट के रूप मे अवशोषित करते है। नाइट्रेट पौधो के उपापचय का भाग होता है जो पौधो के नये प्रोटीन बनाने मे मदद करता है। यह उन जन्तुओं के द्वारा उपयोग किया जाता है जो पौधो को खाते है। फिर यह नाइट्रोजन मांसाहारी जन्तुओं मे चला जाता है, जब वे शाकाहारी जन्तुओं को खाते है। और अंत मे यह मृत जन्तुओं के द्वारा जैव अपघटक की मदद से मिट्टी मे चला जाता है। नाइट्रोजन चक्र वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से नाइट्रोजन अपने कई रसायनिक रूपों में परिवर्तित होता है। यह रूपान्तरण/बदलाव जैविक और भौतिक दोनों प्रक्रियाओं से किया जा सकता है।

नाइट्रोजन चक्र मे यौगिकीकरण, अमोनिकरण, नाइट्रीकरण , और विनाइट्रीकरण  जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं शामिल है। पृथ्वी के वायुमंडल का अधिकतर भाग (78%) नाइट्रोजन है जो इसे नाइट्रोजन का सबसे विशाल भंडार बनाता है। हालांकि, वायुमंडलीय नाइट्रोजन का जैविक उपयोग के लिए उपलब्धता सीमित है जो कई प्रकार के परिस्थितिकी प्रणालियों मे उपयोगी नाइट्रोजन के अभाव को जन्म देती है। नाइट्रोजन चक्र परिस्थिति वैज्ञानिकों के लिए विशेष रुचिकर है, क्योंकि नाइट्रोजन की उपलब्धता पारिस्थितिकी तंत्र की प्रक्रियाओं की दर को प्रभावित कर सकती है।

Hemant Singh is an academic writer with 7+ years of experience in research, teaching and content creation for competitive exams. He is a postgraduate in International
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