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International Mother Language Day: अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज, ऐसे शुरू हुआ था इसे मनाने का सिलसिला

आज पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है. प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. यह वर्ष 2000 से पूरे विश्व में प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है. आइये जानते है कैसे शुरू हुआ था इसे मनाने का सिलसिला.  

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज, ऐसे शुरू हुआ था इसे मनाने का सिलसिला
अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस आज, ऐसे शुरू हुआ था इसे मनाने का सिलसिला

आज पूरी दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जा रहा है. प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाया जाता है. यह वर्ष 2000 से पूरे विश्व में प्रतिवर्ष मनाया जा रहा है.  

वर्ष 1999 में यूनेस्को ने 21 फरवरी को विश्‍व मातृभाषा दिवस के रूप में मनाएं जाने का ऐलान किया था. इसकी शुरुआत बांग्‍लादेश की पहल पर की गयी थी.

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस थीम 2023:

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 2023 का थीम "बहुभाषी शिक्षा-शिक्षा को बदलने की आवश्यकता" (Multilingual education – a necessity to transform education) है. जो ट्रांसफॉर्मिंग एजुकेशन समिट के दौरान की गई सिफारिशों के अनुरूप है, जहां स्वदेशी लोगों की शिक्षा और भाषाओं पर भी जोर दिया गया था.

बहुभाषिक शिक्षा गैर-प्रमुख भाषाएं बोलने वाले जनसमूहों, अल्पसंख्यक समूहों की भाषाएं और स्वदेशी भाषाएं बोलने वालों के लिए सीखने की पहुंच और समावेश की सुविधा प्रदान करती है.

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आज का कार्यक्रम:

संयुक्त राष्ट्र में बांग्लादेश का स्थायी मिशन, स्थायी मिशनों (बांग्लादेश, डेनमार्क, ग्वाटेमाला, हंगरी, भारत, मोरक्को और तिमोर-लेस्ते सहित) और संयुक्त राष्ट्र सचिवालय और यूनेस्को के प्रतिनिधियों सहित इस वर्ष की थीम पर आधारित परिचर्चा का आयोजन कर रहा है.  

कैसे शुरू हुआ था इसके मनाने का सिलसिला?

इसके मनाये जाने के कारण की बात करें तो यह एकुशे फरवरी, या (बांग्ला में 21वां) 1952 में उस दिन को याद करता है जब ढाका विश्वविद्यालय के छात्रों ने पूर्वी पाकिस्तान में उर्दू को लागू करने के खिलाफ देशव्यापी विरोध शुरू किया था.    

वर्ष 1948 में पाकिस्‍तान की तत्कालीन सरकार ने उर्दू को पाकिस्‍तान की राष्ट्र भाषा घोषित की, लेकिन पूर्वी पाकिस्‍तान (आज का बांग्लादेश) जहाँ अधिकतर लोग बांग्‍ला बोलते थे. जिस कारण उन्होंने इस फैसले का विरोध करने लगे.       

इस विरोध को पाकिस्तान की सरकार ने बहुत दबाने की कोशिश की साथ ही 21 फरवरी 1952 को विरोध कर रहे लोगों पर कथित तौर पर गोलियां बरसाई गयी, इतिहास में ऐसा शायद ही हुआ था जब लोगों ने अपनी मातृभाषा के लिय जान गवाई थी.  

1999 ने यूनेस्को ने दी मान्यता:

अपनी भाषा और संस्कृति के लिए बंगाली लोगों के संघर्ष को मान्यता देते हुए यूनेस्को ने 1999 में इसे मनाये जाने की घोषणा की थी. तब से प्रतिवर्ष 21 फरवरी को दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.

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