भारत में वर्ष, 1962 में विक्रम साराभाई के नेतृत्व में स्पेस रिसर्च के लिए ‘इंडियन नेशनल कमेटी’ का गठन किया गया था और काफी कम समय के भीतर वर्ष, 1963 में भारत का पहला साउंडिंग रॉकेट स्पेस में सफलता पूर्वक छोड़ा गया था. हमारी स्पेस सक्सेस की कहानी अब आकाश की नई-नई ऊंचाइयों को लगातार छू रही है. भारत के स्पेस रिसर्च में नए-नए आयाम हासिल करने के लिए वर्ष, 1969 में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) का गठन किया गया और वर्ष, 1975 में भारत ने अपनी पहली सैटेलाइट आर्यभट्ट को स्पेस में सफलतापूर्वक लॉन्च किया. स्पेस रिसर्च और मिशन के मामले में आज भारत पूरी दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है. आज ISRO की लेटेस्ट सक्सेस रेट 95% है जो काफी उत्साहवर्धक और आशाजनक है. 25 जनवरी, 2019 को भारत ने PSLV – C44 के माध्यम से माइक्रोसैट – आर और कलामसैट – वी2 को सफलतापूर्वक स्पेस में लॉन्च किया और 22 जुलाई, 2019 को चंद्रयान – 2 को सफलतापूर्वक चांद पर भेजा गया. इसलिए, अगर आप भी भारत के ISRO में एक स्पेस साइंटिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करना चाहते हैं तो यह आर्टिकल बड़े गौर से पढ़ें:
स्पेस साइंस और स्पेस साइंटिस्ट का परिचय
दरअसल इस ‘स्पेशलाइजेशन के युग’ में स्पेस साइंस भी अपने में खास सब्जेक्ट बन चुका है. स्पेस साइंस या स्पेस टेक्नोलॉजी साइंस और/ या इंजीनियरिंग की ऐसी ब्रांच है जिसमें स्पेस और यूनिवर्स (अंतरिक्ष और ब्रह्मांड) का अध्ययन किया जाता है. शुरू में यह विषय खगोलशास्त्र (एस्ट्रोनॉमी) के एक हिस्से के तौर पर पढ़ा और पढ़ाया जाता था.
इसी तरह, स्पेस से जुड़े रिसर्च वर्क और विभिन्न स्पेस मिशनों को सफलतापूर्वक अंजाम देने वाले साइंटिस्ट्स ही ‘स्पेस साइंटिस्ट’ कहलाते हैं जो अपने काम के लिए फिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी के बेसिक प्रिंसिपल्स को आधार बनाकर स्पेस से संबंधित रिसर्च वर्क और विभिन्न स्पेस मिशनों को सफलतापूर्वक लॉन्च करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. स्पेस रिसर्च वर्क में मैथमेटिक्स, केमिस्ट्री और इंजीनियरिंग जैसे साइंस सब्जेक्ट्स के साथ ही बायो साइंस का भी काफी महत्व होता है क्योंकि स्पेस में जीवन पाए जाने की संभावना बनी ही रहती है.
भारत में स्पेस साइंस के प्रमुख कोर्सेज
हमारे देश में स्टूडेंट्स साइंस (प्रेफेराबली फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ्स) सब्जेक्ट्स के साथ किसी एजुकेशनल बोर्ड से अपनी 12 वीं क्लास काफी अच्छे मार्क्स के साथ पास करने के बाद फिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी, एस्ट्रोफिजिक्स, मैथ्स, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस और टेक्नोलॉजी में ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल कर सकते हैं. स्पेस साइंटिस्ट के करियर के लिए स्टूडेंट्स फिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स में मास्टर डिग्री हासिल कर सकते हैं. हमारे देश में आमतौर पर अंडरग्रेजुएट कोर्सेज 3 वर्ष और मास्टर डिग्री कोर्सेज 2 वर्ष की अवधि के होते हैं. स्टूडेंट्स अपने मास्टर डिग्री कोर्स जैसेकि, फिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी या एस्ट्रोफिजिक्स में डॉक्टोरल डिग्री भी हासिल कर सकते हैं. हमारे देश में आमतौर पर यह डॉक्टोरल डिग्री हासिल करने के लिए 5 – 6 वर्ष का समय लगता है.
भारत में स्पेस साइंस के कोर्सेज करवाने वाले प्रमुख इंस्टीट्यूशन्स
हमारे देश में निम्नलिखित प्रमुख एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स स्पेस साइंस में एजुकेशनल कोर्सेज करवाते हैं:
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साइंस, बैंगलोर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ एस्ट्रोफिजिक्स, बैंगलोर
- रमण रिसर्च इंस्टीट्यूट, बैंगलोर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ सिसंस एजुकेशन एंड रिसर्च
- आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ़ ऑब्जरवेशनल साइंसेज, नैनीताल
- रेडियो एस्ट्रोनॉमी सेंटर, ऊटी
- फिजिकल रिसर्च लेबोरेटरी, अहमदाबाद
- बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, झारखंड
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ स्पेसे साइंस एंड टेक्नोलॉजी, केरल
इसके अलावा, भारत के सभी प्रमुख इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजीज़ (IITs) अपने स्टूडेंट्स को बेहतरीन इंजीनियरिंग एजुकेशन उपलब्ध करवाते हैं. इन एजुकेशनल इंस्टीट्यूट्स से स्टूडेंट्स एस्ट्रोफिजिक्स में मास्टर डिग्री भी हासिल कर सकते हैं.
भारत में स्पेस साइंटिस्ट बनने के लिए एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया
हमारे देश भारत में अगर आप ISRO में स्पेस साइंटिस्ट की जॉब के लिए अप्लाई करना चाहते हैं तो आपको निम्नलिखित एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया पूरे करने होंगे:
- वे भारत के नागरिक जिनकी आयु कम से कम 35 वर्ष हो, हरेक साल अप्रैल के महीने में ISRO द्वारा आयोजित रिटन टेस्ट के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर सकते हैं बशर्ते:
- एक स्टूडेंट के तौर पर उन कैंडिडेट्स ने अपनी बीएससी, बीटेक या बीई की डिग्री इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स, कंप्यूटर साइंस, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, फिजिक्स, एस्ट्रोनॉमी, मैथमेटिक्स या साइंस के किसी संबंधित विषय में हासिल की हो.
- एक स्टूडेंट के तौर पर उन्होंने हमेशा कम से कम 65% मार्क्स या उससे अधिक मार्क्स हासिल किये हों.
भारत में स्पेस साइंटिस्ट के लिए प्रमुख जॉब प्रोफाइल्स
हमारे देश में निम्नलिखित साइंटिस्ट्स ISRO सहित देश की विभिन्न स्पेस लैब्स में अपना शानदार करियर शुरू कर सकते हैं:
- एस्ट्रोफिजिसिस्ट्स –ये पेशेवर स्टार्स सहित अन्य सेलेस्टियल बॉडीज (आकाशीय पिंडों) के फिजिकल नेचर से संबंधित स्टडी करते हैं.
- फिजिसिस्ट्स –ये पेशेवर स्पेस वेदर, लाइटिंग, स्पेस फिजिक्स, एस्ट्रोफिजिक्स और एस्ट्रोनॉमी से संबंधित रिसर्च वर्क और स्टडीज़ करते हैं.
- जियोलॉजिस्ट्स –ये पेशेवर सभी प्लैनेट्स के स्ट्रक्चर और फॉर्मेशन से संबंधित फैक्ट्स की स्टडी करते हैं.
- मेटीरिओलॉजिस्ट– ये पेशेवर हमारे अर्थ प्लानेट के एटमोस्फियर और बाहरी स्पेस के इस एटमोस्फियर पर पड़ने वाले असर का अध्ययन करते हैं.
- केमिकल साइंटिस्ट्स– ये पेशेवर स्पेस में पायें जाने वाले केमिकल्स और केमिकल एलेमेंट्स के बारे में रिसर्च और स्टडीज़ करते हैं.
- बायोलॉजिस्ट्स –ये पेशेवर अन्य प्लैनेट्स पर जीवन पाए जाने से जुड़े रहस्यों का अध्ययन करते हैं.
- मेडिकल साइंटिस्ट्स –ये पेशेवर मनुष्यों, पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों पर स्पेस ट्रेवल और स्पेस स्टे के असर का अध्ययन करते हैं.
भारत में स्पेस साइंटिस्ट्स कर सकते हैं जॉब्स के लिए यहां अप्लाई
- इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO)
- डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (DRDO)
- नेशनल एयरोनॉटिकल लैबोरेट्रीज़ (NAL)
- हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)
- एयरोस्पेस इंडस्ट्री
भारत में स्पेस साइंटिस्ट्स का सैलरी पैकेज
हमारे देश भारत में इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) में किसी फ्रेशर स्पेस साइंटिस्ट को एवरेज 46 हजार रुपये मासिक और सीनियर साइंटिस्ट को एवरेज 85 हजार रुपये मासिक का आकर्षक सैलरी पैकेज मिलता है. भारत में रिसर्च साइंटिस्ट्स को 9.8 लाख रुपये सालाना का आकर्षक सैलरी पैकेज मिलता है. यहां किसी फ्रेशर असिस्टेंट को 18 – 20 हजार रुपये मासिक और अन्य भत्ते मिलते हैं. वैसे कैंडिडेट्स की एजुकेशनल क्वालिफिकेशन और वर्क एक्सपीरियंस के साथ-साथ उनका सैलरी पैकेज भी बढ़ता जाता है.
भारत में आजकल इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन के माध्यम से स्पेस मिशन लगातार सफल हो रहे हैं. ऐसे में अगर आप भी स्पेस और साइंस में गहरी रूचि रखते हैं और आपके पास हायर एजुकेशन के साथ टैलेंट भी भरपूर है तो आप एक स्पेस साइंटिस्ट का करियर अपनाकर भारत के विभिन्न स्पेस मिशनों में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं. आपको इस पेशे में काफी आकर्षक सैलरी पैकेज, आत्म-संतोष और सम्मान के साथ देश सेवा का भी भरपूर अवसर मिलेगा.
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