आज भी हमारा देश भारत एक कृषि प्रधान देश है. भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के मुताबिक ‘भारत माता की आत्मा भारत के लगभग 6.49 लाख से अधिक गावों में बसती है’ तो ऐसे समय में, एक एग्रीकल्चर साइंटिस्ट की पोस्ट के महत्व को हम कम करके नहीं आंक सकते. दरअसल, पिछले कई दशकों से देश-दुनिया में एग्रीकल्चर के तकरीबन सभी क्षेत्रों में साइंस का भरपूर इस्तेमाल हो रहा है.....और एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स ही वे योग्य और प्रतिभावान पेशेवर होते हैं जो देश की कृषि अर्थात एग्रीकल्चर में अपने विज्ञान के ज्ञान का बखूबी इस्तेमाल करते हैं. इस आर्टिकल में हम आपके लिए भारत में एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट के करियर स्कोप की चर्चा कर रहे हैं ताकि अगर आप भी एग्रीकल्चर में दिलचस्पी रखने वाले एक साइंटिफिक माइंड के व्यक्ति हैं तो आप भारत में एक एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू कर सकते हैं. आइये आगे पढ़ें यह आर्टिकल:
एग्रीकल्चर साइंस का परिचय
सबसे पहले तो हम यह समझते हैं कि आखिर यह एग्रीकल्चर साइंस क्या है? वास्तव में, एग्रीकल्चर साइंस बायोलॉजी की एक व्यापक बहु-विषयक फील्ड है जिसमें नेचुरल, इकनोमिक और सोशल साइंसेज के उन उपयुक्त हिस्सों को शामिल किया जाता है जिन हिस्सों का इस्तेमाल एग्रीकल्चर की जानकारी और प्रैक्टिस के लिए किया जाता है. यहां ध्यान देने वाला एक प्वाइंट यह भी है कि, वेटरनरी साइंस (लेकिन एनिमल साइंस को नहीं) को अक्सर इस परिभाषा से बाहर रखा जाता है.
एग्रीकल्चर साइंस की प्रमुख ब्रांचेज
- लाइवस्टॉक प्रोडक्शन
- क्रॉप प्रोडक्शन
- एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स
- एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग
एग्रीकल्चर साइंस के लिए जरुरी सब्जेक्ट्स
आमतौर पर बैचलर ऑफ़ साइंस (बीएससी – एग्रीकल्चर) के तौर पर पढ़ाये जाने वाले इस कोर्स के तहत कई अन्य विषयों के संबद्ध टॉपिक्स और उप-विषय पढ़ाये जाते हैं. किसी बीएससी-एग्रीकल्चर स्टूडेंट को नेचुरल साइंसेज, सोशल साइंसेज के साथ ही बायोलॉजी एनवायरनमेंटल साइंसेज, केमिस्ट्री, इकोनॉमिक्स और बिजनेस एंड मैनेजमेंट के विभिन्न टॉपिक्स से संबद्ध ड्राइंग्स में कुशलता प्राप्त होनी चाहिए.
एग्रीकल्चर साइंस में शामिल हैं ये प्रमुख टॉपिक्स
- एग्रीकल्चरल बिजनेस
- एग्रीकल्चर प्रोडक्शन
- एग्रोफिजिक्स
- एनिमल साइंस
- फूड साइंसेज एंड टेक्नोलॉजीज
- हॉर्टिकल्चर
- प्लांट साइंस
- सॉयल साइंस
- एक्वाकल्चर
- जेनेटिक इंजीनियरिंग
- इरीगेशन एंड वाटर मैनेजमेंट
- एग्रोलॉजी
- एनवायरनमेंटल साइंस
बीएससी - एग्रीकल्चर में पढ़ाये जाने वाले विषय
- एग्रोनोमी 1 – क्रॉप प्रोडक्शन.
- एग्रोनोमी 2 – फील्ड क्रॉप्स
- एंटोमोलॉजी – इंसेक्ट्स के बारे में स्टडी
- प्लांट पैथोलॉजी – प्लांट डिजीजेज
- सॉयल साइंस – सॉयल स्टडीज, मैन्योर्स, फ़र्टिलाइज़र्स
- जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग – फिजियोलॉजी एंड जेनेटिक इंजीनियरिंग और अन्य संबद्ध टॉपिक्स
- एग्रीकल्चरल इकोनॉमिक्स
- एग्रीकल्चर एक्सटेंशन.
बीएससी - एग्रीकल्चर की अवधि:
आमतौर पर एग्रीकल्चर में बैचलर ऑफ़ साइंस कोर्स को बीएससी – (एग्री.) या बीएसए या बीएससी (ऑनर्स –एग्री) के तौर पर भी जाना जाता है. उक्त कोर्सेज देश के विभिन्न एग्रीकल्चरल कॉलेजों और विभिन्न यूनिवर्सिटीज की फैकल्टी ऑफ़ एग्रीकल्चर द्वारा करवाए जाते हैं जिनकी अवधि 4 वर्ष होती है.
एग्रीकल्चर साइंस पढ़ने के लिए टॉप इंडियन इंस्टीट्यूट्स और यूनिवर्सिटीज
- इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
- गोविंदवल्लभ पंत यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर ऐंड टेक्नोलॉजी, पंतनगर
- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, खडगपुर, पश्चिम बंगाल
- चौधरी चरण सिंह एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, हरियाणा
- इलाहाबाद एग्रीकल्चर इंस्टिट्यूट
- बिरसा एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, रांची, झारखण्ड
- उड़ीसा यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, भुबनेश्वर
- शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, जम्मू
- नरेन्द्र देव यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर एंड टेक्नोलॉजी, कुमारगंज, फैजाबाद
- पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, लुधियाना
- राजस्थान एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, बीकानेर
- राजेंद्र एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, पूसा, समस्तीपुर
- इंदिरा गांधी एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, रायपुर
- जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर
एग्रीकल्चर साइंस/ एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग में एडमिशन कैसे हो सकता है?
हमारे देश में विभिन्न एग्रीकल्चर साइंस या एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग कोर्सेज में एडमिशन लेने के लिए विभिन्न यूनिवर्सिटीज और इंस्टीट्यूट्स द्वारा अक्सर एंट्रेंस एग्जाम्स आयोजित किये जाते हैं. भारत के कुछ राज्य इंजीनियरिंग, मेडिकल और एग्रीकल्चर कोर्सेज में योग्य और टैलेंटेड स्टूडेंट्स को एडमिशन देने के लिए कॉमन एंट्रेंस टेस्ट आयोजित करते हैं. इंडियन एग्रीकल्चरल रिसर्च काउंसिल ऑल इंडिया लेवल पर एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करती है. यह एंट्रेंस एग्जाम हर साल अप्रैल माह में आयोजित किया जाता है. इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट भी एक कंबाइंड एंट्रेंस एग्जाम आयोजित करता है. भारत के विभिन्न राज्यों के एग्रीकल्चरल कॉलेजों, सेंट्रल एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, इम्फाल, मणिपुर और कुछ डीम्ड यूनिवर्सिटीज में मास्टर डिग्री और जूनियर रिसर्च फ़ेलोशिप स्टूडेंट्स के लिए यह एग्जाम आयोजित किया जाता है.
एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स का जॉब प्रोफाइल
एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स की मांग आजकल भारत सरकार के कृषि मंत्रालय. केंद्र और राज्यों के विभिन्न सरकारी विभागों, कॉर्पोरेट हाउसेज, एजुकेशन और रिसर्च सेक्टर्स और एग्रीकल्चरल एंड फ़ूड प्रोडक्ट्स से जुड़े इंस्टीट्यूट्स में है. आमतौर पर एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स एग्रीकल्चर, फ़ूड प्रोडक्शन और प्लांट्स की ग्रोथ से संबद्ध सभी कार्य करते हैं. इनका प्रमुख काम फ़ूड प्रोडक्शन की क्वालिटी में सुधार लाना और फ़ूड प्रोडक्शन की क्वांटिटी बढ़ाना होता है. भारत में एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट्स निम्नलिखित जॉब प्रोफाइल्स ज्वाइन कर सकते हैं:
- एग्रीकल्चरल कंसलटेंट.
- फार्म मैनेजर.
- फिश फार्म मैनेजर.
- प्लांट ब्रीडर/ जेनेटिसिस्ट
- रूरल प्रैक्टिस सर्वेयर.
- सॉयल साइंटिस्ट.
एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट बनने के लिए जरूरी शर्तें
- सबसे पहले इंटरेस्टेड स्टूडेंट्स और कैंडिडेट्स उक्त पोस्ट से संबद्ध करियर ड्यूटीज और एजुकेशनल रिक्वायरमेंट्स के बारे में पूरी जानकारी हासिल करें.
- अपने हाई स्कूल में एडवांस्ड साइंस कोर्सेज लें.
- बीएससी- एग्रीकल्चर/ बीएससी – एग्रीकल्चर (ऑनर्स) में बैचलर डिग्री प्राप्त करें.
- एमएससी – एग्रीकल्चर/ एमएससी – एग्रोनोमी में पोस्टग्रेजुएशन की डिग्री प्राप्त करें.
- पीएचडी – एग्रीकल्चर की डिग्री.
एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट बनने के लिए आवश्यक योग्यता
हमारे देश में एग्रीकल्चर साइंटिस्ट बनने के लिए स्टूडेंट्स हेतु फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथमेटिक्स, बायोलॉजी या एग्रीकल्चर सब्जेक्ट के साथ बारहवीं पास होना जरूरी है. यदि इंजीनियरिंग की फील्ड में जाना है तो स्टूडेंट्स के पास इंजीनियरिंग या टेक्नोलॉजी में बैचलर डिग्री अथवा कम से कम एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा जरूर होना चाहिए. प्रोफेशनल कोर्स में एडमिशन लेने के लिए स्टूडेंट्स के पास संबंधित विषय में स्पेशलाइजेशन के साथ-साथ एग्रीकल्चरल साइंस या इंजीनियरिंग में ग्रेजुएशन की डिग्री होनी चाहिए. गैर-कृषि क्षेत्र में भी कुछ विशेष कोर्सेज में एडमिशन लिया जा सकता है जिसके लिए साइंस के ही किसी अन्य विषय से ग्रेजुएशन की डिग्री के साथ सोशल साइंस की भी अच्छी समझ जरूरी है.
भारत में एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट का सैलरी पैकेज
भारत में एक एग्रीकल्चरल रिसर्च साइंटिस्ट की एवरेज सैलरी रु. 599,152/- प्रति वर्ष होती है. इस जॉब में कार्य अनुभव का सैलरी पैकेज पर मॉडरेट इफ़ेक्ट पड़ता है. इस जॉब के साथ हाई सैलरी पैकेज से संबद्ध स्किल्स मशीन लर्निंग, केमिकल प्रोसेस इंजीनियरिंग और बायोइनफॉर्मेटिक्स है. आज भी एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट के तौर पर अपना करियर शुरू करने के लिए अपेक्षाकृत काफी कम स्टूडेंट्स प्रयास करते हैं जिस कारण जॉब प्राप्त करने के लिए लिए कैंडिडेट्स के बीच प्रतियोगिता उतनी कड़ी नहीं होती जितनी साइंस और इंजीनियरिंग से जुड़े अन्य पेशों और जॉब्स के लिए होती है. लेकिन इस पेशे में सैलरी पैकेज काफी आकर्षक है. इसलिए, अगर एग्रीकल्चर में आपका रुझान है तो आप इस फील्ड में एक एग्रीकल्चरल साइंटिस्ट के तौर पर अपना शानदार करियर शुरू कर सकते हैं.
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