छात्रों की पढ़ाई के साथ एक्स्ट्रा-करीकुलर में भी रूचि ज़रूर होनी चाहिए, जानें क्यों?

Apr 12, 2018, 18:02 IST

सभी छात्र स्कूल में एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज में ज़रूर हिस्सा ले क्यूंकि, इनसे उनमें ऐसी स्किल्स विकसित होती हैं जो उनके करियर के लिए भी लाभदायक होती हैं. इस लेख में हम बात कर रहे हैं उन महत्वपूर्ण एक्स्ट्रा-करीकुलर गतिविधियों की जो छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ बहुत ही आवश्यक है.

Extracurricular at schools
Extracurricular at schools

स्कूल में छात्र केवल पढ़ाई के लिए ही नहीं जाते बल्कि इसके साथ-साथ स्पोर्ट्स, डांस, म्यूजिक, पर्यावरण और आर्ट जैसी गतिविधियों में भी हिस्सा लेते हैं और बहुत कुछ सीखते हैं. छात्रों के लिए यह सारी एक्स्ट्रा-करीकुलर गतिविधियाँ उनके सम्पूर्ण रूप से विकास के लिए बहुत आवश्यक है. एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज़ से छात्रों न केवल शारीरिक रूप और मानसिक रूप से तैयार होते हैं बल्कि इसके साथ उनकी लीडरशिप स्किल्स, डिसिशन मेकिंग, और  सोशल स्किल्स भी विकसित होती है.  

इस लेख में हम बात कर रहे हैं उन महत्वपूर्ण एक्स्ट्रा-करीकुलर गतिविधियों की जो छात्रों के लिए पढ़ाई के साथ बहुत ही आवश्यक है –

1. स्पोर्ट्स छात्रों के शारीरिक विकास के लिए स्पोर्ट्स सबसे ज़रूरी होता है और साथ ही इससे छात्रों में तनाव भी कम होता है. पढ़ाई से ब्रेक लेने के लिए स्पोर्ट्स एक बहुत ही अच्छा ऑप्शन होता है. गेम्स आउटडोर हो या इंडोर, छात्रों का दोनों ही तरह के खेलों से मानसिक व शारीरिक विकास होता है.

और यह देखा गया है की जो भी छात्रों स्पोर्ट्स में भाग लेते हैं वोह शारीरिक और मानसिक रूप से  फिट रहते हैं और पढ़ाई में बाधा बनने वाली सारी बातें जैसे आलस्य, तनाव, दिमागी अनुपस्थिति आदि से मुक्त हो जाते हैं और फाइनली परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स भी लाते हैं  

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2. ग्रुप डिस्कशन – यह एक ऐसी एक्टिविटी है जिसमे क्लास के सभी छात्र हिस्सा ले सकते हैं और उनको किसी भी टॉपिक के बारें में बातचीत या वाद-विवाद करने के लिए अलग-अलग टीम्स या ग्रुप में बाँट दिया जाता है. ऐसे में छात्रों न केवल अपने विचार व्यक्त करना सीखते हैं बल्कि वो अपनी कम्युनिकेशन स्किल्स भी और अच्छी कर लेते हैं. और साथ ही साथ छात्रों को एक-दूसरे से बातचीत करने से ज्ञान बढ़ता है. और अच्छी तरह से किसी भी टॉपिक के बारें में (हर टॉपिक के दोनों पहलुओं को) समझ सकते हैं. जब छात्रों की नॉलेज और कम्युनिकेशन स्किल्स अच्छी होती है तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है.

3. आर्ट और क्राफ्ट्स छात्रों को स्कूल में हर क्लास में आर्ट्स विषय की बारे में पढ़ाया जाता है. यह विषय छात्रों को क्रिएटिव स्किल्स विकसित करने में सहायक होता है. आर्ट्स एंड क्राफ्ट्स एक्टिविटीज करने से छात्रों में क्रिएटिविटी स्किल्स और प्रतिभा डेवलप होती हैं. आर्ट एक्टिविटीज करने के लिए छात्रों को अपने विचारों को समझना और व्यक्त करना आना चाहिए जो उन्हें हर तरह की परिस्तिथि को समझकर अपनी प्रतिभा को और अच्छा करने में सहायक होती हैं.

आर्ट्स से छात्र क्रिएटिविटी स्किल्स और अपने विचार व्यक्त करने की स्किल्स विकसित कर सकते हैं जिसको  छात्र अपने बाकी विषयों की पढ़ाई में भी उपयोग कर सकते हैं.

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4. म्यूजिक/ संगीतसंगीत में एक हीलिंग पॉवर होती है जो छात्रों के मन से स्ट्रेस कम करने में बहुत लाभदायक होती है. स्कूल में सभी छात्रों को म्यूजिक क्लास में संगीत सिखाया जाता है और छात्रों को भी म्यूजिक से फोकस, सहनशीलता और कोर्डिनेशन जैसी स्किल्स डेवलप होती है.

5. डांस जैसे म्यूजिक मानसिक तनाव दूर करती है वैसे ही डांस से छात्रों का फिजिकल स्ट्रेस ख़त्म होता है. डांस से छात्रों की फिजिकल फिटनेस भी बनती है और वो शारीरिक रूप से मजबूत बनते हैं, फ्लेक्सिबल होते हैं और साथ ही उनमे सक्रियता भी आती है और तो और छात्र डांस सीखकर अपने टैलेंट को अलग-अलग लेवल पर जैसे डांस टैलेंट शोज़ में हिस्सा लेकर प्रदर्शित कर सकते हैं.

6. पर्यावरण के लिए प्रोजेक्ट्स स्कूल्स में छात्रों को पर्यावरण के बारें में जागरूक करने के लिए पर्यावरण को प्रभावित करने वाले टॉपिक्स पर प्रोजेक्ट्स दिए जाते हैं. ऐसी एक्टिविटीज में भाग लेने से छात्रों को पर्यावरण के ऐसे मुद्दों के बारें में जानकारी होती है जिसे वो पढ़ाई पूरी होने के बाद अपना करियर भी बना सकते हैं.और न केवल छात्रों को इससे करियर के लिए प्रेरणा मिलती है बल्कि पर्यावरण के प्रति उनकी जागरूकता की, स्कूल और सरकारी विभाग (जो पर्यावरण से जुड़े हैं)भी सराहना करते हुए पुरुस्कार और मान्यता देते हैं.

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निष्कर्ष: यहाँ बताई गई एक्स्ट्रा-करीकुलर गतिविधियाँ छात्रों के लिए बहुत ज़रूरी है और सभी स्कूलों में इन सभी एक्टिविटीज को महत्वता दी जाती है. इन सभी एक्स्ट्रा-करीकुलर एक्टिविटीज में से किसी भी एक्टिविटी में छात्रों को ज़रूर हिस्सा लेना चाहिए क्यूंकि इनसे छात्रों में ऐसी स्किल्स विकसित होती हैं जो उनके करियर में भी लाभदायक होती हैं.

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