15 जनवरी 2010 को इस सदी का सबसे लंबे समय (11 मिनट 8 सेकेंड) तक दिखने वाला कुण्डलाकार सूर्यग्रहण (Annular Solar Eclipse) दिखा. यह आकाशीय घटना 300 कि.मी. चौड़ी पट्टी में देखा गया, जिसमें भारत के केरल और तमिलनाडु के साथ साथ मध्य अफ्रीका, मालदीव, श्रीलंका, बंगलादेश, बर्मा और चीन में यह दिखा. इस आकाशीय घटना के कारण पड़ने वाले प्रभावों को जानने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ने केरल के थुम्बा और आन्ध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से साउंडिंग रॉकेट छोड़े. साउंडिंग रॉकेट को सूर्यग्रहण से पहले और बाद में छोड़ा गया ताकि पर्यावरणीय प्रभावों को मापा जा सके. ये प्रभाव सूर्य से उत्सर्जित होने वाली विकरण में अचानक आई कमी के कारण होती है.
भारत में इससे पहले कुंडलाकार सूर्यग्रहण 1976 में देखा गया था. जुलाई 2009 में सदी का सबसे लंबा पूर्ण सूर्यग्रहण भी दिखा था. पृथ्वी और सूर्य के बीच जब चाँद आ जाता है, तो सूर्यग्रहण होता है. इसी परिस्थिति में जब चाँद का प्रभावी व्यास सूर्य के प्रभावी व्यास से कम रहता है, तो कुंडलाकार सूर्यग्रहण होता है.
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