अफगानिस्तान संकट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफगानिस्तान संकट के बीच फंसे भारतीयों को निकालने सहित भारत की तत्काल प्राथमिकताओं पर ध्यान केंद्रित करने के लिए विदेश मंत्री (EAM) एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल सहित एक उच्च स्तरीय समूह की स्थापना की है.
फंसे हुए भारतीयों की सुरक्षित वापसी के साथ-साथ भारत में अफगानों (विशेष रूप से अल्पसंख्यकों) की यात्रा से संबंधित मुद्दों पर विचार-विमर्श करने के लिए यह उच्च स्तरीय समूह पिछले कुछ दिनों से नियमित रूप से बैठक कर रहा है, और इस समूह ने यह आश्वासन दिया है कि, भारत के खिलाफ आतंकवाद के लिए किसी भी तरह से अफगान क्षेत्र का उपयोग नहीं किया जाए.
तालिबान के प्रवक्ता जहेबुल्लाह मुजाहिद ने 30 अगस्त, 2021 को यह सूचित किया था कि, अफगान हिंदुओं और सिखों को सभी वैध यात्रा दस्तावेज होने पर भारत की यात्रा करने की अनुमति है. यह कदम विद्रोही समूह द्वारा हाल ही में अल्पसंख्यकों को भारत आने वाली निकासी उड़ान में सवार होने से रोकने के बाद आया है.
जैसा कि अमेरिका ने 31 अगस्त, 2021 को अफगानिस्तान से अपनी आखिरी टुकड़ी को वापस लिया, भारत तालिबान के कब्जे वाले क्षेत्र में हाल की स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रहा है. भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में अपनी अध्यक्षता के अंतिम दिन अफगानिस्तान पर प्रस्ताव लाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
USNC ने भारत की अध्यक्षता में अफगानिस्तान पर 07-सूत्रीय प्रस्ताव किया पारित
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने 30 अगस्त, 2021 को, भारत की अध्यक्षता में, अफगानिस्तान पर एक 07-सूत्रीय प्रस्ताव अपनाया है, जिसमें यह मांग की गई थी कि तालिबान के कब्जे वाले अफगान क्षेत्र का इस्तेमाल 'किसी भी देश को धमकाने या हमला करने या आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने या आश्रय देने के लिए नहीं किया जाना चाहिए.
यह प्रस्ताव उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) के सहयोगियों अर्थात् यूके, यूएस और फ्रांस द्वारा अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस लेने के बाद प्रस्तुत किया गया था. UNSC के 15 सदस्य देशों में से 13 देशों ने इस प्रस्ताव के पक्ष में, 0 ने इसके खिलाफ मतदान किया और चीन और रूस इस मतदान में शामिल नहीं हुए.
UNSC ने यह भी कहा है कि, यह उम्मीद करता है कि तालिबान ऐसे सभी अफगानों और विदेशियों के लिए सुरक्षित मार्ग की सुविधा प्रदान करेगा जो आज, कल या 31 अगस्त के बाद अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं.
तालिबान द्वारा इस युद्धग्रस्त देश के अधिग्रहण के बाद से अफगानिस्तान की स्थिति पर UNSC द्वारा अपनाया गया यह पहला प्रस्ताव है.
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