UNESCO: केंद्र ने चराइदेव मैदाम को वर्ल्ड हेरिटेज साइट के लिए नॉमिनेट किया, जानें किस राज्य में है?
केंद्र सरकार ने असम के चराइदेव मैदाम (Charaideo Maidam) को विश्व धरोहर स्थल के रूप में नामित करने के लिए यूनेस्को को एक प्रस्ताव भेजेगा. असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने इसके सम्बन्ध में पीएम मोदी को 16 जनवरी को एक पत्र लिखा था.

UNESCO World Heritage Site: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि केंद्र सरकार ने असम के चराइदेव मैदाम (Charaideo Maidam) को विश्व धरोहर स्थल (World Heritage site) के रूप में नामित करने के लिए यूनेस्को को एक प्रस्ताव भेजेगा.
चराइदेव मैदाम को भारत में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट की 52 साइटों में स्थान दिया गया है. जिनको यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज लिस्ट में शामिल करने के लिए भेजा जायेगा.
असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने इसके सम्बन्ध में पीएम मोदी को 16 जनवरी को एक पत्र लिखा था. जिसको केंद्र सरकार अमल में लाते हुए चराइदेव मैदाम को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट शामिल किया है.
अगर असम की इस साइट को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में चुना जाता है तो सांस्कृतिक श्रेणी के तहत यह उत्तर-पूर्व भारत की पहली साइट होगी.
A matter of pride for Assam as the historic Charaideo Maidams is on its way to being recognized as a UNESCO World Heritage Site.
— Ranjeet Kumar Dass (@RanjeetkrDass) January 21, 2023
Truly grateful to HPM @narendramodi for selecting Charaideo out of 52 other sites as India's nomination & HCM @himantabiswa for his untiring efforts. pic.twitter.com/ePtZJgxq7W
चराइदेव मैदाम के बारें में:
असम का यह चराइदेव मैदाम असम के पुराने राजवंश अहोम साम्राज्य से सम्बंधित है. इसकी स्थापना चाओ लुंग सिउ-का-फा ने (Chao Lung Siu-Ka-Pha) ने 1253 में की थी. इसे 'असम के पिरामिड' के रूप में भी जाना जाता है. यह ऐतिहासिक स्थल शिवसागर शहर से लगभग 28 किमी दूर स्थित है.
चराइदेव, अहोम राजवंश की टीले वाली दफ़न प्रणाली (Mound burial system) के रूप में जाना जाता है. चराइदेव मैदाम अहोम सम्राट की कब्रगाह थी और अहोम समुदाय के लिए एक पवित्र स्थान है.
चराइदेव मैदाम का महत्व:
चराइदेव मैदाम का महत्व असम के अहोम समुदाय के बीच बहुत अधिक है. यह अहोम राजवंश की पहली राजधानी थी. चराइदेव गुवाहाटी से 400 किमी पूर्व में स्थित है.
अहोम समुदाय से जुड़े लोगों ने 18 वीं शताब्दी के हिंदू रीतिरिवाजों से दाह संस्कार पद्धति को शुरू कर दिया था और दाह संस्कार के बाद राख को चराइदेव के मैदाम में दफनाना शुरू कर दिया था. अतः चराइदेव मैदाम, अहोम समुदाय के नजरिये से महत्व अधिक है.
अहोम समुदाय सरकार और यूनेस्को से इस ऐतिहासिक स्थल को को विश्व धरोहर स्थल के रूप नामित करने का आग्रह किया है.
अहोम सेनापति लाचित की जयंती का अवसर:
हाल में असम में अहोम समुदाय के महान सेनापति लचित बरफुकन की जयंती मनाई जा रही है. सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने यह भी बताया कि चराइदेव मैदामों का नामांकन ऐसे समय में हुआ है जब भारत लाचित बरफुकन की 400वीं जयंती मना रहा है. लचित बरफुकन अहोम समुदाय के महान सेनापति थे जिन्होंने 1671 में मुगलों से युद्ध लड़ा था.
भारत में यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट:
भारत में वर्तमान में कुल 40 यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स है जिसमें 32 कल्चरल साइट्स, 07 नेचुरल साइट्स और 01 मिक्स्ड साइट शामिल है. अब तक यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज की टेंटेटिव लिस्ट में 52 साइट्स को शामिल किया गया है.
यूनेस्को:
यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स में दुनिया भर के उन स्थलों को स्थान दिया जाता है जिनका विशेष सांस्कृतिक, ऐतिहासिक या भौतिक महत्व है. यूनेस्को, यूएन की एक विशेष संस्था है जिसका गठन 16 नवम्बर 1945 को लन्दन में किया गया था. इसका मुख्यालय पेरिस फ्रांस में स्थित है.
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