राज्यसभा ने 01 अगस्त 2017 को 123वां संविधान संशोधन विधेयक-2017 संशोधनों के साथ पारित कर दिया. विधेयक में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के समकक्ष पिछड़े वर्गों के लिए संवैधानिक दर्जे वाला एक नया आयोग बनाने की व्यवस्था की गई है.
सदन में वोटिंग के बाद विपक्ष का यह संशोधन पास हो गया. विपक्ष के संशोधन के पक्ष में 75 वोट पड़े जबकि इसके खिलाफ सिर्फ 54 वोट मिले. वोटिंग के दौरान एनडीए के कई सांसदों के मौजूद नहीं होने से सरकार हार गई और विपक्ष का एक संशोधन पास हो गया.
केंद्रीय सामाजिक कल्याण मंत्री थावरचंद गहलोत ने राज्यसभा में पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा दिलाए जाने को लेकर 123वां संविधान संशोधन बिल प्रस्तुत किया. बिल पर वोटिंग के दौरान करीब 4 घंटे तक राज्य सभा सदस्यों के मध्य बहस हुई. बाद में संशोधन विधेयक पास कर दिया गया.
लोकसभा से पास संशोधन विधेयक-2017 -
संशोधन विधेयक-2017 लोकसभा से पूर्व में ही पास किया जा चुका है. सरकार को विपक्ष का संशोधन मंजूर नहीं है और राज्यसभा में यह संशोधन पास हो चुका है. इसीलिए तकनीकी कारणों से इस बिल को दोबारा लोकसभा भेजना पड़ेगा.
लोकसभा में पास होने के बाद इसे पुन: राज्यसभा में मूल रूप में पास कराना होगा.
संशोधन के मुख्य तथ्य-
संशोधन विधेयक-2017 में कांग्रेस के नेता दिग्विजय सिंह, बी के हरिप्रसाद और हुसैन दलवाई ने वोटिंग के दौरान यह संशोधन पेश किया.
संशोधन के अनुसार पिछड़ा वर्ग आयोग में सदस्यों की संख्या 3 से बढ़ाकर 5 की जाए. साथ ही उसमें एक महिला सदस्य और एक अल्पसंख्यक सदस्य भी शामिल किया जाए.
संशोधन में यह भी मांग की गई थी कि आयोग के सभी सदस्य पिछड़े वर्ग के ही हों.
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया जाय.
केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत के अनुसार विधेयक से राज्यों के अधिकारों और संघीय ढांचे पर कोई असर नहीं पड़ेगा और न ही विधेयक से राज्यो के अधिकारों का अतिक्रमण होगा. कुछ सदस्यों ने इस विषय पर चिंता व्यक्त की थी.
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