2021 के शुरू में लॉन्च हो सकता है चंद्रयान-3: केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह

Sep 8, 2020, 17:31 IST

चंद्रयान -3 चंद्रयान -2 का मिशन रिपीट होगा और इसमें चंद्रयान -2 के समान रोवर और लैंडर शामिल होंगे, लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा.

Chandrayaan- 3 likely to launch in early 2021: Minister of State for Space Dr. Jitendra Singh in Hindi
Chandrayaan- 3 likely to launch in early 2021: Minister of State for Space Dr. Jitendra Singh in Hindi

केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने 6 सितंबर, 2020 को यह सूचित किया है कि, वर्ष 2021 के शुरू में भारत के चंद्रमा के मिशन, चंद्रयान -3 को लॉन्च किये जाने की संभावना है.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि, चंद्रयान -2 के विपरीत, इस मिशन में ऑर्बिटर शामिल नहीं होगा, लेकिन इसमें एक रोवर और एक लैंडर शामिल होंगे.

सितंबर, 2019 में चंद्रयान - 2 की कठिन लैंडिंग के बाद, भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) ने वर्ष 2020 में बाद में, चंद्रमा के लिए एक और मिशन की योजना बनाई थी. हालांकि, इसरो के कई प्रोजेक्ट्स और मिशनों में महामारी और लॉकडाउन की मार पड़ी है.

चंद्रयान - 3 का प्रक्षेपण

डॉ. जितेंद्र सिंह के एक बयान के अनुसार, चंद्रयान -3 का प्रक्षेपण, वर्ष 2021 के शुरू में होने की संभावना है. उन्होंने यह भी कहा कि, चंद्रयान -3 चंद्रयान -2 का एक मिशन रिपीट होगा और इसमें चंद्रयान -2 के समान ही एक रोवर और लैंडर शामिल होंगे. लेकिन इसमें ऑर्बिटर नहीं होगा.

भारत द्वारा चंद्रयान -2 का प्रक्षेपण

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने की योजना के तहत, चंद्रयान -2 को भारत द्वारा 22 जुलाई, 2019 में लॉन्च किया गया था. हालांकि, विक्रम-लैंडर 7 सितंबर, 2020 को चंद्रमा की सतह पर उतरा, जिसने भारत के अपने पहले प्रयास में चंद्र सतह को सफलतापूर्वक छूने वाला पहला राष्ट्र बनने के सपने को  साकार होने से पहले ही तोड़ दिया. विभिन्न रिपोर्टों के अनुसार, मिशन के ऑर्बिटर्स ठीक काम कर रहे हैं और डाटा भी भेज रहे हैं.

चंद्रयान -1 से  मिलने वाली छवियां (इमेजेज)

अंतरिक्ष विभाग के राज्य मंत्री, डॉ. जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि, वर्ष 2008 में चंद्रमा पर भेजा  गया इसरो का पहला मिशन चंद्रयान -1 दिखा रहा है कि पृथ्वी के उपग्रह (चंद्रमा) के ध्रुवों पर जंग लग रहा है.

उन्होंने आगे यह कहा कि, इस निष्कर्ष का संकेत यह है कि भले ही चंद्रमा की सतह को लोहे से समृद्ध चट्टानों के तौर पर जाना जाता है, यहां ऑक्सीजन और पानी की उपस्थिति के सबूत नहीं मिलते हैं, ये  दोनों तत्व जो जंग पैदा करने के लिए लोहे के साथ परस्पर क्रिया करने के लिए आवश्यक हैं.

नेशनल एयरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के वैज्ञानिकों के अनुसार, ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि पृथ्वी का अपना वायुमंडल इस काम में सहायता दे रहा है, जिसका यह अर्थ भी है कि, पृथ्वी का वातावरण चंद्रमा की रक्षा भी कर सकता है.

इस प्रकार चंद्रयान -1 से प्राप्त चंद्रमा का डाटा यह इंगित करता है कि, चंद्रमा के ध्रुवों पर पानी उपलब्ध  है और यही वह बात है जिसे वैज्ञानिक समझने की कोशिश कर रहे हैं.

मानव अंतरिक्ष मिशन - गगनयान की तैयारी

केंद्रीय अंतरिक्ष राज्य मंत्री ने भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन के बारे में जानकारी देते हुए यह बताया कि, गगनयान मिशन के लिए पूरे जोर-शोर से तैयारी चल रही है और प्रशिक्षण प्रक्रिया एवं  अन्य प्रक्रियायें भी सुव्यवस्थित हैं.

उन्होंने आगे यह भी कहा कि, कोविड -19 महामारी के कारण गगनयान की योजना में किसी न किसी रूप में व्यवधान पैदा करती हैं, लेकिन वर्ष 2022 की समयावधि तक इस मिशन को लांच करने के प्रयास जारी हैं.

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