छत्तीसगढ़ में ‘ब्लैक पेंथर’ दस्ते का गठन किया गया. केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने 21 मई 2018 को ‘ब्लैक पैंथर’ के गठन की जानकारी दी. यह आंध्रप्रदेश के चर्चित ग्रे-हाउंड्स की तर्ज पर छत्तीसगढ़ पुलिस की विशेष प्रशिक्षित कमांडो फोर्स होगी. ‘ब्लैक पेंथर’ दस्ते का गठन माओवादियों से मुकाबला करने के लिए बनाया गया है.
जवानों का चयन:
ब्लैक पैंथर दस्ते के लिए जिन 200 जवानों का चयन किया गया हैं. उनमें निरीक्षक रैंक अफसरों से लेकर सिपाही तक शामिल हैं. कांकेर स्थित जंगल वॉर फेयर कॉलेज में इनकी ट्रेनिंग चल रही है. इनमें से ज्यादातर के पास नक्सल क्षेत्रों में काम करने का लंबा अनुभव है.
ग्रे हाउंड क्या है?
अविभाजित आंध्रप्रदेश में वर्ष 1989 में ग्रे हाउंड फोर्स का गठन किया गया. इस दौर में वहां नक्सलवाद चरम पर था. ग्रे हाउंड गठन के थोड़े ही समय बाद ही नक्सलियों में खौफ का पर्याय बन गया.
ग्रे हाउंड के जवान को घने जंगलों में ऑपरेशन चलाने और नक्सलियों की छापामार लड़ाई से मुकाबले की विशेष ट्रेनिंग दी गई है. ग्रे हाउंड के जवान उन रास्तों की पहचान करते हैं जहां नक्सलियों की आवाजाही की संभावना होती है. जवान एक ही जगह पर एंबुश लगाकर कई दिनों तक दिनरात दुश्मन का इंतजार करते हैं. इसी तर्ज पर ब्लैक पेंथर दस्ता भी काम करेगा.
ब्लैक पैंथर:
यह दस्ता आइबी इनपुट के आधार पर माओवादियों के खिलाफ प्रदेशभर में कहीं भी कार्रवाई कर सकेगा. हमले के लिए इनको ‘हवाई’ मदद भी उपलब्ध होगी. वरिष्ठ अफसरों का कहना है कि बरसात के बाद इन जवानों को मैदान में उतार दिया जाएगा.
ब्लैक पैंथर के ऑपरेशन की प्लानिंग और मॉनीटरिंग सीधे पुलिस मुख्यालय से होगी. ब्लैक पैंथर सीधे स्पेशल डीजी नक्सल ऑपरेशन को रिपोर्ट करेंगे.
ट्रेनिंग अनिवार्य:
छत्तीसगढ़ सरकार ने कांकेर जिले में वर्ष 2005 में जंगल वॉर फेयर कॉलेज की शुरूआत की. इस कॉलेज की स्थापना बांगलादेश युद्ध में भाग ले चुके ब्रिगेडियर बीएस पोनवार ने फौज से रिटायर होने के बाद की.
यह कॉलेज करीब 300 एकड़ में फैला हुआ है. इस कॉलेज का अधिकांश इलाका जंगली और पहाड़ी है. राज्य पुलिस में शामिल प्रत्येक जवान और अफसर चाहे वह आईपीएस ही क्यों न हो उसे जंगल वॉर फेयर की ट्रेनिंग लेना अनिवार्य है.
इस कॉलेज में केंद्रीय बल के जवान के साथ एनएसजी के जवान भी ट्रेनिंग लेने आते हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation