स्विट्जरलैंड स्थित विमेंस वर्ल्ड सम्मिट फाउंडेशन ने बिहार राज्य के जनपद भोजपुर निवासी 20 वर्षीय छोटी कुमारी सिंह को सम्मानित किया है. विमेंस वर्ल्ड सम्मिट फाउंडेशन ने छोटी कुमारी सिंह का यह सम्मान ग्रामीण परिवेश में महिलाओं द्वारा किये जाने वाले रचनात्मक कार्यों हेतु प्रदान किया.
छोटी कुमारी सिंह ने समाज के अंतिम पायदान पर माने जाने वाले दलित वर्ग के मुसहर समुदाय के लोगों की मदद की. उन्होंने समुदाय को बच्चों की शिक्षा का महत्व समझाने और इसके लिए प्रेरित करने हेतु काफी सफल प्रयास किए.
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छोटी कुमारी सिंह-
- छोटी कुमारी सिंह का जन्म बिहार की उच्च जाति ‘राजपूत’ परिवार में हुआ.
- छोटी कुमारी सिंह ने वर्ष 2014 में अपने गांव रतनपुर में मुसहर समुदाय के लोगों को शिक्षा देना और सामाजिक स्तर पर उनकी सहायता करनी शुरू की.
- छोटी कुमारी सिंह को इसकी प्रेरणा आध्यात्मिक और मानवतावादी माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के प्रतिष्ठित अमृतानंदमयी मठ द्वारा संचालित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मिली.
- छोटी कुमारी सिंह अभी तक मुसहर समुदाय के 108 बच्चों को ट्यूशन दे चुकी है, छोटी कुमारी सिंह के अनुसार ज्यादातर भूमिहीन श्रमिकों के रूप में काम करने वाले उसके गांव के मुसहर समुदाय के लोग बेहद गरीब हैं.
- छोटी कुमारी सिंह को बच्चों की शिक्षा का महत्व समझाने और इसके लिए प्रेरित करने हेतु अनेक तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ा. क्योंकि समुदाय के ज्यादातर लोग अपने बच्चों को शिक्षा दिलाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते.
- छोटी कुमारी सिंह ने घर—घर जाकर उनसे मुलाकात की. बच्चों के माता—पिता को समझाने की कोशिश की. उन्होंने एक स्वयं सहायता समूह भी शुरू किया जिसमें इस समुदाय की हर महिला एक महीने में 20 रुपये बचाकर घर-आधारित गतिविधियों को शुरू करने के लिए बैंक खाते में जमा करती है.
माता अमृतानंदमयी देवी (अम्मा) के प्रतिष्ठित अमृतानंदमयी मठ की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार इस कार्यक्रम का उद्देश्य देश भर के 101 गांवों को अपनाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है. माता अमृतानंदमयी मठ ने बिहार के पांच गांवों को अपनाया है. जिनमें से दो, रतनपुर और हदियाबाद गांवों में यह कार्यक्रम शुरू किया गया है.
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विमेंस वर्ल्ड सम्मिट फाउंडेशन पुरस्कार-
विमेंस वर्ल्ड सम्मिट फाउंडेशन पुरस्कार वर्ष 1994 में शुरू किया गया. छोटी कुमारी सिं यह पुरस्कार पाने वाली सबसे कम उम्र की व्यक्ति हैं. पुरस्कार के रूप में 1000 डॉलर (65,000 रुपया) की रकम प्रदान की जाती है.
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