केंद्र सरकार ने देशभर में दिव्यांगता अधिनियम-2016 के अधिकारों के कार्यान्वयन हेतु एक समिति का गठन किया है. इसका उद्देश्य सभी राज्यों में बिना किसी विलंब के नियमों को लागू करना है.
समिति की अध्यक्षता दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के सचिव द्वारा की जाएगी. यह समिति तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.
रचना: इसके सदस्यों में गैर सरकारी संगठनों से स्वास्थ्य कर्मी, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग, श्रम, विधायी तथा संघ मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल होंगे.
इसके अतिरिक्त कर्नाटक, गुजरात, ओडिशा, असम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव शामिल होंगे.
समिति के नियम एवं संदर्भ – सभी राज्यों के लिए एक समान मसौदा नियमों का सुझाव दिया गया तथा सभी राज्यों को बिना देरी के इन्हें लागू करने के लिए भी सुझाव दिया गया.
दिव्यांगजन अधिनियम-2016 के अधिकार
• राष्ट्रपति की मंजूरी के पश्चात् दिसंबर 2016 यह अधिनियम अधिसूचित किया गया. इसमें शारीरिक समस्याओं से लेकर मानसिक बीमारियों सहित सभी स्पेक्ट्रम शामिल किये गये हैं.
• इसमें दिव्यांगता की संख्या को 7 से 21 तक अंकित किया गया है. साथ ही सरकारी नौकरियों में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 प्रतिशत तथा उच्च शिक्षा में 3 प्रतिशत से 5 प्रतिशत करने का सुझाव दिया गया है.
• इसमें मानसिक बीमारियों, आटिज्म, स्पेक्ट्रम विकार, सेरेब्रल पाल्सी, स्नायुतंत्र विकार, बहरापन, दृष्टिबाधा, पार्किन्संस को दिव्यांग श्रेणी में शामिल किया गया है.
• इस अधिनियम का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन 2007 के तहत भारतीय अधिनियमों एवं अधिकारों को लागू करना है.
• इसके लागू होने पर 6 से 18 वर्ष तक का प्रत्येक बालक जिसे दिव्यांग माना गया है उसे निःशुल्क शिक्षा दी जाएगी.

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