टाटा संस के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री को शेयरधारकों ने कंपनी के निदेशक पद से भी हटा दिया. इसके लिए बैठक आहूत की गयी जिसमे कंपनी के शेयरधारकों की बैठक में मिस्त्री को हटाने के प्रस्ताव को आवश्यक बहुमत से मंजूर कर लिया गया. टाटा संस ने मिस्त्री को निदेशक मंडल से हटाने के लिए इस असाधारण आम बैठक (ईजीएम) बुलाने का नोटिस पिछले महीने जारी किया था.
टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी टाटा संस के अनुसार टाटा संस लि. के शेयरधारकों ने कंपनी की असाधारण आम बैठक में आवश्यक बहुमत के साथ साइरस पी मिस्त्री को निदेशक पद से हटाने के पक्ष में मतदान किया. इस बैठक में रतन टाटा के अलावा, एन चंद्रशेखरन और अजय पीरामल भी शामिल थे.
मुख्य तथ्य-
• 10 साल में पहली बार शापोरजी पल्लोनजी परिवार का बोर्ड में कोई प्रतिनिधित्व नहीं होगा.
• टाटा संस में मिस्त्री परिवार की 18.5 प्रतिशत हिस्सेदारी है. मिस्त्री टाटा संस के बोर्ड में 2006 में शामिल हुए.
• मिस्त्री परिवार टाटा संस का सबसे बड़ा सिंगल शेयरहोल्डर है. टाटा संस में 66 फीसदी से भी ज्यादा शेयर तीन टाटा ट्रस्ट के नाम हैं.
• वर्ष 2004 में साइरस मिस्त्री के पिता पल्लोनजी शापोरजी मिस्त्री ने निदेशक पद से इस्तीफा दिया था. टाटा संस के बोर्ड में उन्हें 1980 से शामिल किया गया.
• मिस्त्री परिवार की टाटा संस में हिस्सेदारी 1965 से है.
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) ने मिस्त्री के परिवार की दो निवेश कंपनियों द्वारा ईजीएम को स्थगित करने की अपील ठुकरा दी थी.
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की पीठ ने 31 जनवरी को कोई राहत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद मिस्त्री पक्ष ने एनसीएलएटी में अपील की. था.
पृष्ठभूमि-
• पिछले वर्ष 24 अक्तूबर को टाटा संस ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. साथ ही उनके समूह की टाटा संस और टीसीएस जैसी कारोबारी कंपनियों से हटाने के प्रस्ताव भी रखे थे.
• दिसंबर 2016 में बाकी कंपनियों के डायरेक्टर पद से उन्होंने मजबूरन खुद इस्तीफा दे दिया.
• 24 अक्तूबर, 2016 को टाटा संस ने मिस्त्री के चेयरमैन पद से हटाए जाने के बाद भी कंपनी निदेशक के पद से नहीं हटाया था.
छह फरवरी 2017 की असाधारण आम बैठक का नोटिस जारी किया गया. टाटा संस के अनुसार मिस्त्री ने टाटा समूह पर जो निर्रथक आरोप लगाए हैं उससे समूह को काफी नुकसान हुआ है. ऐसे में उनका निदेशक पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं बनता तथा उन्हें इस पद से हटाया जाना चाहिए.
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