मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फ़तेह अल सीसी ने अप्रैल 2017 को देश में तीन महीनों का आपातकाल लगाये जाने की घोषणा की. कॉप्टिक ईसाइयों को निशाना बनाकर दो गिरजाघरों पर किए हमलों में 45 लोगों की मौत के बाद यह घोषणा की गयी.
इस आदेश के लागू होने के लिए इसका पार्लियामेंट द्वारा पारित होना आवश्यक है. इसके एक बार पारित होने के बाद पुलिस बिना किसी वारंट के केवल संदेह के आधार पर लोगों को गिरफ्तार कर सकेगी.
आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट को इन धमाकों का जिम्मेदार माना जा रहा है. राष्ट्रपति सीसी ने देशभर में सेना तैनात करने का भी ऐलान किया है.
आपातकाल का प्रभाव
• लोगों के घूमने-फिरने तथा सम्मेलनों पर प्रतिबन्ध
• राष्ट्रपति को मीडिया प्रतिष्ठानों को बंद करने का अधिकार
• आदेश लागू कराने के लिए सेना की तैनाती
• संचार के सभी प्रारूपों पर नज़र रखना
• सेना किसी भी संपत्ति को अपने संरक्षण में ले सकती है
• आपातकाल भंग करने का प्रयास कर रहे किसी भी व्यक्ति को सेना द्वारा गिरफ्तार किया जा सकता है.
चर्च पर हमला
9 अप्रैल 2017 को एलेक्जेंड्रिया में सेंट मार्क कॉप्टिक चर्च के बाहर एक धमाका हुआ और इसमें 16 लोग मारे गए. मिस्र के सरकारी मीडिया का कहना है कि कॉप्टिक चर्च के प्रमुख पोप टावाड्रोस टू भी धार्मिक समारोह में शरीक हुए थे लेकिन वे सुरक्षित हैं.
इससे पहले, नील डेल्टा स्थित तांता शहर के सेंट जॉर्ज कॉप्टिक चर्च में धमाका हुआ था और इसमें 29 लोग मारे गए थे.
मिस्र की आबादी में लगभग 10 प्रतिशत ईसाई हैं. यह हमला तब हुआ जब कॉप्टिक ईसाई ईस्टर से पहले के रविवार को एकजुट हुए थे. यह ईसाई कैलेंडर के सबसे पवित्र दिनों में से एक है.
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