वैज्ञानिकों के एक समूह ने अर्जेंटीना में सैंटा फे के पास दुनिया का पहला फ्लोरेसेंट मेंढ़क (Hypsiboas punctatus) खोज निकाला है. सामान्य रौशनी में मेंढ़क हरा, पीला और लाल रंग का दिखता है लेकिन अंधेरे में यह तेज नीला और हरा रंग उत्सर्जित करता है.
वैज्ञानिकों ने पाया कि दक्षिण अमेरिकी पोल्का डॉट वाले ट्री फ्रॉग फ्लोरेसेंट अणुओं का प्रयोग वैसे ही करते हैं जैसे अन्य पशु.
यह खोज 13 मार्च 2017 को प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेस में प्रकाशित की गई थी.
मुख्य बातें:
• शोधकर्ताओं ने जब पोल्का डॉट ट्री फ्रॉग्स पर अल्ट्रावायलेट फ्लैशलाइट डाली तो वे यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि इन मेंढ़कों ने फीके लाल की बजाए तीव्र हरापन लिए नीला चमक प्रदान किया.
• शोधकर्ता बिलिवर्डिन नाम के पिग्मेंट के कारण इन मेंढ़कों से लाल प्रतिदीप्ति प्राप्त करने की उम्मीद कर रहे हैं.
• पशुओं के लसीका ऊतक, त्वचा और ग्रंथियों के स्राव में तीन अणु– हीलोइन– एल1 (hyloin-L1), हीलोइन– एल2 (hyloin-L2) और हीलोइन– जी1 (hyloin-G1) पाए गए जो हरे रंग की प्रतिदीप्ति के कारक हैं.
• अणुओं में गोलाकार संरचना और हाइड्रोकार्बन की श्रृंखला होती है. ऐसे ही अणु पौधों में पाए जाते हैं.
पशुओं में प्रतिदीप्ति:
• कम तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश को अवशोषित करने और अधिक तरंगदैर्ध्य वाले प्रकाश को उत्सर्जित करने की क्षमता को प्रतिदीप्ति (फ्लोरेसेंस) कहते हैं, एक ऐसा गुण जो स्थलीय जीवों में दुर्लभ है. अब तक, किसी भी उभयचर प्राणी में प्रतिदीप्ति की बात अनसुनी थी.
• जीवों में प्रतिदीप्ति की क्षमता क्यों होती है, यह अब भी अस्पष्ट है, हालांकि स्पष्टीकरण में संचार, छलावरण और साथी को आकर्षित करने का कारण बताया जाता है.
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