गोवा की पूर्व राज्यपाल, साहित्यकार और बीजेपी नेता मृदुला सिन्हा का 18 नवंबर 2020 को निधन हो गया. वे 77 साल के थे. वे एक कुशल लेखिका भी थीं, जिन्होंने साहित्य और संस्कृति की दुनिया में व्यापक योगदान दिया था. बिहार में जन्मीं मृदुला सिन्हा के निधन से देश को अपूर्णीय क्षति हुई है.
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह ने शोक व्यक्त किया है. मृदुला सिन्हा गोवा की पहली महिला राज्यपाल थीं. बिहार के मुजफ्फरपुर में जन्मीं सिन्हा विख्यात हिंदी लेखिका होने के साथ-साथ बीजेपी की वरिष्ठ नेता भी थीं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया
गोवा की पूर्व राज्यपाल के निधन पर शोक जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया कि श्रीमती मृदुला सिन्हा जी को जनसेवा के लिए किए गए उनके प्रयासों के चलते याद किया जाएगा. वे एक कुशल लेखिका भी थीं, जिन्होंने साहित्य के साथ-साथ संस्कृति की दुनिया में भी व्यापक योगदान दिया. उनके निधन से दुखी हूं. उनके परिवार एवं प्रशंसकों के प्रति संवेदना. ॐ शांति.
Smt. Mridula Sinha Ji will be remembered for her efforts towards public service. She was also a proficient writer, making extensive contributions to the world of literature as well as culture. Anguished by her demise. Condolences to her family and admirers. Om Shanti. pic.twitter.com/EmYWcFEb5g
— Narendra Modi (@narendramodi) November 18, 2020
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, बिहार भाजपा अध्यक्ष डॉक्टर संजय जयसवाल, उपमुख्यमंत्री रेणु देवी ने मृदुला सिन्हा के निधन पर शोक जताया है.
मृदुला सिन्हा के बारे में
मृदुला सिन्हा का जन्म 27 नवंबर 1942 को मुजफ्फरपुर में हुआ था. मृदुला सिन्हा लोक आस्था के महापर्व पर अक्सर लिखती रहीं हैं. मृदुला सिन्हा के निधन के बाद भाजपा में शोक की लहर दौड़ गयी है.
उन्होंने मनोविज्ञान में एमए और बीएड किया था. इसके बाद कुछ समय मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में पढ़ाया. मोतिहारी में एक स्कूल की प्रिंसिपल भी रहीं. बाद में नौकरी छोड़कर पूरी तरह लेखन में रम गईं.
बिहार के मुजफ्फरपुर की रहने वाली मृदुला सिन्हा 2014 से 2019 तक गोवा की राज्यपाल रहीं थी. पूर्व राज्यपाल डा.मृदुला सिन्हा अपने पीछे दो पुत्र व एक पुत्री सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गई हैं.
मृदुला सिन्हा पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के समय केंद्रीय समाज कल्याण बोर्ड की अध्यक्ष भी रही थीं. उनकी प्रकाशित किताबों में राजपथ से लोकपथ पर, नई देवयानी, ज्यों मेंहदी को रंग, घरवास, देखन में छोटे लगें, सीता पुनि बोलीं आदि शामिल हैं.
उन्होंने मनोविज्ञान में एमए और बीएड किया था. इसके बाद कुछ समय मुजफ्फरपुर के एक कॉलेज में पढ़ाया. मोतिहारी में एक स्कूल की प्रिंसिपल भी रहीं. बाद में नौकरी छोड़कर पूरी तरह लेखन में रम गईं.
उन्होंने मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सेंट्रल सोशल वेलफेयर बोर्ड (CSWB) की चेयरपर्सन का पद भी संभाला था. इसके अलावा वे जय प्रकाश नारायण के 'समग्र कांति' का भी हिस्सा रहीं.
पुरस्कार और सम्मान
मृदुला सिन्हा को उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण सम्मान, दीनदयाल उपाध्याय पुरस्कार समेत कई दूसरे सम्मान और पुरस्कार मिल चुके हैं. इनके अतिरिक्त कई साहित्यिक मंचों से भी उन्हें सम्मानित किया जा चुका है.
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