शोधकर्ताओं ने मध्य प्रदेश के भोपाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर स्थित यूनेस्को के संरक्षित क्षेत्र भीमबेटका में दुनिया के सबसे पुराने जानवर का जीवाश्म खोजा है. भीमबेटका के ऑडिटोरियम गुफा की छत पर मिले जानवर का जीवाश्म लगभग 57 करोड़ साल पुराना है.
इसका नाम डिकिनसोनिया है और देश में पहली बार इस जानवर का जीवाश्म मिला है. यह जीवाश्म भीमबेटका में शोधकर्ताओं को संयोग से मिला. बीते साल यहां भ्रमण करने पहुंचे अंतरराष्ट्रीय भू विज्ञानियों की नजर एक जीवाश्म पर पड़ी तो उन्होंने इसकी तस्वीर लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परीक्षण किया. पता चला कि यह जीवाश्म पृथ्वी के पहले जीव का है.
जीवाश्म की खोज: एक नजर में
यह जीवाश्म भीमबेटका में शोधकर्ताओं को संयोग से मिला. मार्च 2020 में होने वाली 36वीं इंटरनेशनल जियोलॉजिकल कांग्रेस के पहले दो शोधकर्ता भीमबेटका के टूर पर गए थे. इसी दौरान उनकी नजर पत्तीनुमा आकृतियों पर पड़ी. यह जमीन से 11 फीट की ऊंचाई पर चट्टान के ऊपर मौजूद था और किसी रॉक आर्ट की तरह नजर आ रहा था.
भीमबेटका में मिला जीवाश्म 17 इंच लंबा
शोधकर्ताओं की खोज को गोंडवाना रिसर्च नामक अंतरराष्ट्रीय पत्रिका के फरवरी के अंक में प्रकाशित किया गया है. शोधकर्ताओं के मुताबिक डिकिनसोनिया के जीवाश्म चार फीट तक बढ़ सकते हैं. भीमबेटका में मिला जीवाश्म 17 इंच लंबा है.
विश्व का सबसे पुराना जीवाश्म
भीमबेटका में मिला यह जीवाश्म पृथ्वी के सबसे प्राचीन जानवर डिकिनसोनिया का होने की पुष्टि दक्षिण आस्ट्रेलिया में इसी जानवर के 5410 लाख वर्ष पुराने जीवाश्म से मिलान करने पर हुई है. इसलिए यह कहा जा सकता है कि भीमबेटका में मौजूद डिकिनसोनिया का जीवाश्म विश्व का सबसे पुराना है. भीमबेटका में 64 साल पहले जीवाश्म चट्टानों का पहली बार पता चला था. इसके बाद से यहां लगातार शोधकार्य चल रहे हैं.
भीमबेटका की गुफा
भीमबेटका की गुफा को 64 साल पहले वीएस वाकणकर ने ढूंढा था. तब से, हजारों शोधकर्ताओं ने इस पुरातत्व स्थल का दौरा किया है. भीमबेटका की गुफा आदि-मानव द्वारा बनाये गए शैलचित्रों और शैलाश्रयों के लिए प्रसिद्ध है. इन चित्रों को पुरापाषाण काल से मध्यपाषाण काल के समय का माना जाता है. यह विन्ध्याचल की पहाड़ियों के निचले छोर पर है तथा इसके दक्षिण में सतपुड़ा की पहाड़ियाँ आरंभ हो जाती हैं. भीमबेटका में 700 से अधिक शैलाश्रय हैं जिनमें 400 शैलाश्रय चित्रों द्वारा सज्जित हैं.
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