केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने देश के इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए लिए तीन प्रोत्साहन योजनाये शुरू करने की अधिसूचना जारी की है. इन योजनाओं के तहत 48,000 करोड़ रुपये से अधिक की प्रोत्साहन राशि प्रदान की जायेगी.
ये प्रोत्साहन योजनायें 1 अगस्त, 2020 से लागू होंगी और इन योजनाओं से संबंधित आवेदन शुरू में चार महीने के लिए स्वीकार किये जायेंगे. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पिछले महीने इन योजनाओं को मंजूरी दी थी. इन तीन योजनाओं में उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) स्कीम, इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) 2.0 और इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों और अर्द्धचालकों (स्पेसस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना शामिल है.
उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना
यह तीन योजनाओं में सबसे बढ़ी योजना है जिसके तहत 40,000 करोड़ रुपये का परिव्यय निर्धारित किया गया है. इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों की बिक्री बढ़ाने के लिए 4-6 प्रतिशत का प्रोत्साहन देने के लिए इस राशि का इस्तेमाल किया जायेगा. इन इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों में मोबाइल फोन के साथ फोटोपोलिमर फिल्म, मुद्रित सर्किट बोर्ड और असेंबली, परीक्षण, अंकन और पैकेजिंग इकाइयों जैसे इलेक्ट्रॉनिक अवयव शामिल हैं.
उत्पादन से संबंधित प्रोत्साहन योजना की अनिवार्य शर्तें:
• इस योजना के तहत, जो कंपनियां 15000 रुपये या उससे अधिक कीमत के मोबाइल फोन बेचती हैं और जो चार वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये का संचयी निवेश करती हैं, उन्हें पहले वर्ष में 250 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन राशि मिलने के साथ ही वे कंपनियां पहले दो साल में 6 प्रतिशत का प्रोत्साहन पाने के लिए योग्य होंगी. उसके बाद अगले दो के लिए 5 प्रतिशत और पांचवें वर्ष में 4 प्रतिशत प्रोत्साहन उन कंपनियों को दिया जायेगा.
• पहले वर्ष इन कंपनियों के निर्मित माल की वृद्धिशील बिक्री 4,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और पांचवें वर्ष तक कुल बिक्री लगभग 25,000 करोड़ रुपये होगी.
• घरेलू मोबाइल फोन कंपनियों के लिए चार वर्षों में निवेश सीमा 200 करोड़ रुपये है और पांच वर्षों में बिक्री मानदंड 5,000 करोड़ रुपये है.
• अगले 4 साल के लिए घटकों के लिए निवेश की सीमा 100 करोड़ रुपये और अगले 5 साल में 600 करोड़ रुपये की बिक्री निर्धारित की गई है.
• इस योजना के तहत प्रोत्साहन 01 अगस्त से लागू होगा और शुरू में आवेदन चार महीने के लिए स्वीकार किये जायेंगे.
दो अन्य अधिसूचित योजनाओं में शामिल हैं:
इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण क्लस्टर (ईएमसी) 2.0
इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों और अर्द्धचालकों (स्पेसस) के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना.
महत्व
सरकार की इन तीनों प्रोत्साहन योजनाओं में 48,042.25 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ 20 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना जताई गई है और इससे अगले 5-6 वर्षों में लगभग 25 लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होंगे. यह उम्मीद है कि वर्ष 2025 तक भारत को 01 खराब डॉलर की डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य को पूरा करने में ये तीनों योजनायें बड़ी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.
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