केंद्र सरकार ने 29 अक्टूबर 2020 को जूट के खेती और उत्पादन को बढ़ावा देने और इसके किसानों के प्रोत्साहन के लिए कल्याणकारी योजना की घोषणा की है. पिछले महीनों आत्मनिर्भर भारत के दिए गए मंत्र के नक्शे-कदम पर चलते हुए केंद्र और कैबिनेट कई घोषणाएं कर चुकी हैं, जूट उत्पादन के लिए की गई घोषणा भी इसी का अगला कदम है.
कैबिनेट और आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) की बैठक में जूट की खेती को बढ़ावा देने और इसके उत्पादन करने वाले किसानों (Jute Farmers) के लिए सरकार ने खास घोषणा किया है. तय किया गया है कि अब से खाद्यान्न की पैकिंग के लिए जूट के बैग व बोरे का इस्तेमाल अनिवार्य होगा.
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने क्या कहा?
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने इस बारे में बताया कि बैठक में तय हुआ कि 100 प्रतिशत अनाज की पैकेजिंग जूट के बैग में ही की जाएगी. इसके अतिरिक्त कम से कम 20 प्रतिशत चीनी की पैकेजिंग भी जूट के बैग में ही की जाएगी. केंद्र सरकार ने जूट पैकिंग सामग्री अधिनियम, 1987 के तहत अनिवार्य रूप से पैकिंग किए जाने के इस मानक को विस्तारित किया है.
The Union Cabinet has approved the extension of norms for mandatory packaging in Jute materials. 100% of the food-grains & 20% of the sugar to be mandatorily packaged in diversified jute bags: Union Minister Prakash Javadekar pic.twitter.com/e1vNXUJsmB
— ANI (@ANI) October 29, 2020
किसान परिवार की आजीविका निर्भर
जूट क्षेत्र पर लगभग 3.7 लाख श्रमिक और कई लाख किसान परिवारों की आजीविका निर्भर है. इसे देखते हुए सरकार इस क्षेत्र के विकास के लिए काफी संगठित प्रयास कर रही है. इसमें कच्चे जूट के उत्पादन और मात्रा को बढ़ाना, जूट सेक्टर का विविधीकरण करना और जूट उत्पादों की सतत मांग को बढ़ावा देना आदि शामिल है. चीनी को विविध प्रकार के जूट बोरों में पैक किए जाने के निर्णय से जूट उद्योग को काफी बल मिलेगा.
इससे होने वाले लाभ
केंद्र सरकार की इस अनुमति से देश के पूर्वी और पूर्वोत्तर खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, असम, आंध्र प्रदेश, मेघालय और त्रिपुरा के किसानों तथा श्रमिकों को लाभ मिलेगा. इस फैसले जूट से उत्पादन करने वाले किसानों को लाभ मिलेगा. जूट उद्योग मुख्यत: सरकारी क्षेत्र पर निर्भर है और प्रतिवर्ष खाद्यान्नों की पैकिंग के लिए सरकार 7500 करोड़ रुपये से अधिक कीमत के जूट बोरों की खरीद करती है. यह जूट क्षेत्र की मांग को जारी रखने और इस क्षेत्र में कार्यरत श्रमिकों और किसानों की आजीविका को सहारा देने की दिशा में एक कदम है.
पृष्ठभूमि
सरकार ने कच्चे जूट की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए एक विशेष कार्यक्रम जूट आईसीएआरई को डिजाइन किया है. इसके तहत सरकार विभिन्न प्रकार की कृषि पद्धतियों को उपलब्ध कराकर दो लाख जूट किसानों की मदद कर रही है. केंद्र सरकार के इन मध्यवर्ती प्रयासों से कच्चे जूट की गुणवत्ता और उत्पादन में काफी इजाफा हुआ है और जूट किसानों की आमदनी बढ़कर 10,000 रुपये प्रति हेक्टेयर हो गई है.
राष्ट्रीय जूट बोर्ड ने जूट सेक्टर के विविधीकरण को बढ़ावा देने के मद्देनजर राष्ट्रीय डिजाइन संस्थान के साथ एक समझौता किया है और इसी के अनुरूप गांधी नगर में एक जूट डिजाइन प्रकोष्ठ खोला गया है. इसके अलावा, विभिन्न राज्य सरकारों खासकर पूर्वोत्तर क्षेत्र में जूट जियो टेक्सटाइल्स और एग्रो टेक्सटाइल्स को बढ़ावा दिया गया है.
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