हिमाचल प्रदेश मतस्य विभाग ने मई 2016 के तीसरे सप्ताह ने गोल्डन महसीर मछली के संरक्षण हेतु कृत्रिम प्रजनन कार्यक्रम की शुरुआत की.
महसीर के संरक्षण के लिए मंडी जिले के जोगिंदर नगर इलाके में मछैल नामक स्थान पर 6 करोड़ की लागत से हैचरी का निर्माण किया गया. यहां पर जन्म लेने वाली मछलियों को नदियों एवं तालाबों में छोड़ा जायेगा.
स्थानीय नदियों एवं ताल क्षेत्रों से पकड़ी गयी मछलियों को यहां लाया जायेगा.
गोल्डन महसीर की जनसंख्या में गिरावट
• मछली विभाग द्वारा कराये गये सर्वेक्षण के अनुसार इस प्रजाति की जनसँख्या तेजी से कम हो रही है.
• इसके विभिन्न कारण हैं जैसे – बांध निर्माण, बैराज बनना, प्रदूषण, अवयस्क एवं किशोरावस्था की अंधाधुंध मछली पकड़ना, विदेशी प्रजातियों का अधिक आगमन.
• इस मछली को वाशिंगटन आधारित इंटरनेशनल यूनियन ऑफ़ कंज़र्वेशन ऑफ़ नेचुरल रिसोर्सेज़ द्वारा विलुप्तप्राय घोषित किया जा चुका है.
गोल्डन महसीर
• यह एक विलुप्तप्राय प्रजाति की मछली है जो अधिकतर तालाब, नदियों, झीलों एवं हिमालयी क्षेत्रों में पाई जाती है.
• इसकी अधिकतम लम्बाई 2.75 मीटर एवं वजन 54 किलोग्राम तक हो सकता है.
• इसे भारतीय नदियों का टाइगर भी कहा जाता है.
• इस मछली के निवास स्थान में कमी आने, निवास के लिए स्थान उपलब्ध न होने के कारण 50 प्रतिशत से भी अधिक की कमी दर्ज की गयी है.
• भारतीय महसीर मछली अपनी प्रजाति की मछली से थोड़ी भिन्न है. इसकी पूँछ, श्रोणि और पंख सुनहरे रंग के होते हैं जबकि नर मछली का ऊपरी भाग सुनहरे रंग का होता है.
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