भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) के प्रकाशन में यह दावा किया गया है कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय लोग शिव की उपासना करते थे. इसमें पद्मासन में बैठी आकृति को शिव एवं नृत्यांगना की आकृति को पार्वती बताया गया है.
इससे संबंधित मुख्य तथ्य:
पहली बार किसी सरकारी मंच ने मोहनजोदड़ो से मिली नृत्यांगना की इस आकृति को लेकर ऐसा दावा किया गया है. आइसीएचआर की ओर से ऐतिहासिक शोध के प्रकाशन हेतु शुरू की गई छमाही पत्रिका ‘इतिहास’ के ताजा अंक में यह दावा किया गया है.
इसमें छपे बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के रिटायर्ड प्रोफेसर ठाकुर प्रसाद वर्मा के लेख में कहा गया है कि वैदिक सभ्यता के समय बहुत से ऐसे प्रमाण मिलते हैं, जिससे सिद्ध होता है कि उस समय लोग शिव की उपासना करते थे.
वैदिक सभ्यता के पुरातत्व शीर्षक से प्रकाशित इस लेख के अनुसार पद्मासन में बैठी सिंग वाली आकृति भगवान शिव की है. इसके चारों ओर विभिन्न जानवर उपस्थित हैं.
साथ ही कुछ मानव आकृतियां भी दिखाई देती हैं. नृत्यांगना की मशहूर आकृति देवी पार्वती की है. आकृति की उपस्थिति से यह भी साबित होता है कि सिंधु घाटी सभ्यता के समय शिव पूजा होती थी.
हालांकि उनका कहना है कि 2500 ईसा पूर्व की मानी जाने वाली इस सभ्यता के विभिन्न कलात्मक अवशेषों में भी ऐसे बहुत से सुबूत मिलते हैं.
परिषद केंद्रीय मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय के अंतर्गत ऐतिहासिक शोध की शीर्ष संस्था है.

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