केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने 3 मार्च, 2021 को यह सूचित किया है कि, भारत और नॉर्वे ने समुद्री स्थल में अगले 5 वर्षों के लिए समुद्री स्थानिक योजना के क्षेत्र में एक साथ काम करने का निर्णय लिया है.
एक बयान के अनुसार, प्रोजेक्ट स्टीयरिंग कमेटी की पहली बैठक एक आभासी मोड में आयोजित की गई थी, जिसके बाद भारत और नॉर्वे ने यह सुनिश्चित करने के लिए एक योजना बनाई है कि, समुद्र में मत्स्य पालन, परिवहन, ऊर्जा, पर्यटन और जलीय कृषि जैसे क्षेत्रों में मानवीय गतिविधियां सुरक्षित, कुशल और टिकाऊ तरीके से संपन्न हों.
यह समुद्री स्थानिक योजना भारत और नॉर्वे एकीकृत महासागर पहल का हिस्सा है जिसे वर्ष, 2019 में दोनों देशों के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये थे.
India and Norway agree to conduct marine spatial planning in Lakshadweep and Puducherry.
— MIB India 🇮🇳 #StayHome #StaySafe (@MIB_India) March 3, 2021
Details: https://t.co/MVy9VAWv8e@moesgoi @drharshvardhan
मुख्य विशेषताएं
• पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा इस समुद्री स्थानिक योजना - MSP पहल को NCCR - भारत के लिए राष्ट्रीय तटीय अनुसंधान केंद्र के माध्यम से क्रियान्वित किया जाएगा.
• NCCR, प्राथमिक चरण में, लक्षद्वीप और पुडुचेरी के लिए एक समुद्री स्थानिक योजना रूपरेखा विकसित करेगा.
• कई क्षेत्रों (जैसे पर्यटन, उद्योगों, और मत्स्य पालन) के तीव्र विकास के लिए अद्वितीय अवसरों के साथ, विभिन्न समुद्री स्थलों को इस परियोजना के लिए उनकी स्थिति के आधार पर चुना गया है.
• इस योजना और संबंधित अध्ययन करने के लिए भारत सरकार का प्रारंभिक निवेश लगभग 8-10 करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया है.
MSP की रूपरेखा का अन्य तटीय क्षेत्रों में भी हो सकता है अनुकरण
एक विज्ञप्ति के अनुसार, इन दोनों पर्यावरणीय रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों (लक्षद्वीप और पुडुचेरी) की समुद्री स्थानिक योजना की रूपरेखा का अनुकरण देश के अन्य तटीय क्षेत्रों में भी किया जा सकता है.
NCCR ने पहले भी कच्छ की खाड़ी, गोवा, चेन्नई के लिए तटीय प्रबंधन योजनायें विकसित की थीं, जो बहुत सफल साबित हुईं. अब यह नवीनतम पहल भारत के अनेक तटीय क्षेत्रों में कई हितधारकों और आर्थिक क्षेत्रों के विकास में सहायता करेगी.
ब्लू इकोनॉमी: न्यू इंडिया विज़न
न्यू इंडिया विज़न वर्ष, 2030 तक भारत सरकार के विकास के 10 प्रमुख आयामों में से एक के तौर पर ब्लू इकॉनमी/ नीली अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालती है. इस समुद्री स्थानिक योजना को विश्व स्तर पर एकीकृत और स्थायी महासागर प्रबंधन के लिए एक उपकरण के तौर पर पहचाना गया है. यह MoES द्वारा विकसित की जा रही भारत की ब्लू इकोनॉमी पॉलिसी में काम करने के लिए एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है.
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