भारत ने 21 सितम्बर 2017 को अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में उच्च प्रभाव वाली सामुदायिक विकास की 116 परियोजनाओं का घोषणा किया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ सप्ताह पहले ही अफगानिस्तान के आर्थिक विकास में भारत की मदद मांगी थी.
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बीच हुई मुलाकात के दौरान इन परियोजनाओं के बारे में फैसला किया गया. इन परियोजनाओं के अलावा भारत ने छह नयी परियोजनाओं में सहयोग का प्रस्ताव दिया है. इनमें से एक वापस आने वाले अफगान शरणार्थियों के लिए सस्ते मकान की परियोजना है. इस मुलाकात में सुषमा स्वराज और अशरफ गनी ने दोनों देशों के बीच नयी विकास साझेदारी के बारे में भी चर्चा की.
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पाकिस्तान ने अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प द्वारा युद्धग्रस्त अफगानिस्तान में भारत के लिए ज्यादा बड़ी भूमिका की वकालत करने को लेकर अमेरिका के सामने आपत्ति दर्ज कराई थी. अफगानिस्तान एवं दक्षिण एशिया को लेकर अपनी नीति की घोषणा करने के बाद से दोनों देशों के बीच सर्वोच्च स्तर पर हुआ पहला संपर्क था.
डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी नई नीति में पाकिस्तान को आतंकी समूहों के समर्थन के लिए चेतावनी दी थी और आगाह किया था कि अगर उसने ऐसा करना बंद नहीं किया तो उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे. पाकिस्तान की परेशानियां बढ़ाते हुए ट्रम्प ने भारत से अफगानिस्तान में और बड़ी भूमिका निभाने के लिए कहा था.
भारत-अफगानिस्तान संबंध:
अफगानिस्तान और भारत एक दूसरे के पड़ोस में स्थित दो प्रमुख दक्षिण एशिया देश हैं. दोनों दक्षिण एशियाई क्षेत्रिय सहयोग संगठन (दक्षेस) के भी सदस्य हैं. दोनों देशों के बीच प्राचीन काल से ही गहरे संबंध रहे हैं. 21वीं सदी में तालीबान के पतन के बाद दोनों देशों के संबंध फिर से काफी मजबूत हो गए हैं. भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में रचनात्मक हिस्सेदारी की है. भारत अनेक अफगानी छात्रों को छात्रवृत्तियां देता है. भारत का अफगानिस्तान के आर्थिक पुनर्निमाण में बड़ा योगदान रहा है.
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