विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने यह घोषणा की है कि भारत ने दो स्थान की प्रगति की हैं और वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में 74 वें स्थान पर आ गया है. विश्व आर्थिक मंच ने इस 13 मई, 2020 को वार्षिक रैंकिंग जारी की है. भारत ने अपनी बेहतर रैंकिंग के साथ, आर्थिक सुरक्षा, आर्थिक विकास और पर्यावरण स्थिरता के प्रमुख मापदंडों में सुधार दिखाया है.
विश्व आर्थिक मंच जिनेवा में स्थित एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो सार्वजनिक और निजी सहयोग के लिए काम करता है. यह रैंकिंग जारी करते हुए आगे कहा गया है कि मौजूदा कोविड -19 संकट के कारण विकसित और विकासशील देश स्वच्छ ऊर्जा के लिए संक्रमण से समझौता करेंगे.
मुख्य विशेषताएं:
• विश्व आर्थिक मंच ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि स्वच्छ ऊर्जा के लिए परिवर्तन हेतु तत्परता को मापने के लिए हमारे अध्ययन के अनुसार, 115 अर्थव्यवस्थाओं में से 94 देशों ने वर्ष 2015 के बाद से प्रगति दिखाई है. लेकिन इस प्रगति के बावजूद, पर्यावरणीय स्थिरता अभी भी पीछे है.
• स्वीडन ने लगातार तीसरे वर्ष ऊर्जा संक्रमण सूचकांक (ETI) पर शीर्ष स्थान हासिल किया है और शीर्ष तीन में इसके बाद फिनलैंड और स्विट्जरलैंड शामिल हैं.
• जी 20 देशों में से केवल 8 वें स्थान पर फ्रांस और 7 वें स्थान पर ब्रिटेन शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं.
• मांग के उभरते केंद्रों के रूप में, भारत ने 74 वें और चीन ने 78 वें स्थान पर अपने माहौल को सुधारने के लिए सक्षम प्रयास किए हैं. यह सुधार इन दोनों देशों में उपभोक्ता सहयोग, राजनीतिक प्रतिबद्धता, नवाचार और बेहतर बुनियादी ढांचे की वजह से हुआ है.
• विशेष रूप से चीन में, वायु प्रदूषण की समस्या के कारण विद्युतीकरण वाले वाहनों का इस्तेमाल, नियंत्रित उत्सर्जन, तटवर्ती पवन संयंत्रों और सौर फोटोवोल्टिक (पीवी) के लिए दुनिया की सबसे बड़ी क्षमता से संबंधित नीतियां लागू हुई हैं.
वैश्विक संक्रमण सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार:
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, भारत दुनिया के उन कुछ देशों में से एक बन गया है, जिसने वर्ष 2015 से लगातार साल दर साल प्रगति दिखाई है. यह स्थिरता मजबूत सकारात्मक प्रक्षेपवक्र (ट्रेजेक्टरी) दर्शाती है जिसे पर्यावरणीय स्थिरता और मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता को सक्षम बनाकर संचालित किया गया है.
वैश्विक ऊर्जा संक्रमण सूचकांक में भारत की रैंकिंग में सुधार सरकार द्वारा अनिवार्य तौर पर लागू किये गए अक्षय ऊर्जा विस्तार कार्यक्रम के कारण हुआ है, जिसे अब वर्ष 2027 तक बढ़ाकर 275 गीगा वाट (GW) कर दिया गया है.
भारत ने स्मार्ट मीटर, एलईडी बल्बों की थोक खरीद और उपकरणों की लेबलिंग करने के कार्यक्रमों के माध्यम से ऊर्जा दक्षता की दिशा में महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं. इलेक्ट्रिक वाहनों की लागत को कम करने के लिए ऐसे ही उपायों को भी लागू किया गया है.
भारत की स्थिति में यह प्रगति ऊर्जा त्रिकोण के सभी तीन आयामों - ऊर्जा पहुंच और सुरक्षा, आर्थिक विकास और वृद्धि और पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार के कारण हुई है.
स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण पर कोविड -19 का प्रभाव और क्या किया जा सकता है:
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, कोविड -19 महामारी के कारण स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण में हाल की प्रगति में जोखिम उत्पन्न हो गया है. इसका प्रभाव मूल्य अस्थिरता, मांग में अभूतपूर्व गिरावट और सामाजिक-आर्थिक लागतों को जल्दी से कम करने के लिए बढ़ते दबाव के रूप में पड़ सकता है.
इस महामारी ने विभिन्न उद्योगों की कंपनियों को मांग में परिवर्तन और परिचालन में व्यवधान के कारण काम करने के नए तरीके अपनाने के लिए मजबूर किया है जबकि विभिन्न देशों की सरकारों ने इन प्रभावों का सामना करने में विभिन्न कंपनियों और लोगों मदद करने के लिए आर्थिक सुधार पैकेज भी पेश किए हैं.
विश्व आर्थिक मंच के अनुसार, मौजूदा स्थिति ऊर्जा बाजारों में अपरंपरागत हस्तक्षेप पर विचार करने का अवसर प्रदान करती है और इसके साथ ही पुनरुत्थान के लिए वैश्विक सहयोग को प्रोत्साहित करती है जिससे यह संकट कम होने पर ऊर्जा संक्रमण (ट्रांजिशन) में तेजी आएगी.
विश्व आर्थिक मंच की वर्ष 2020 की इस रिपोर्ट में यह बताया गया है कि बाहरी झटकों के खिलाफ वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर ऊर्जा संक्रमण के लिए रोडमैप, नीतियां और शासन के ढांचे को अधिक लचीला बनाने की आवश्यकता है.
अगर इन नीतियों को दीर्घकालिक रणनीतियों के साथ लागू किया जा सके, तो वे समावेशी और टिकाऊ ऊर्जा प्रणालियों के लिए विभिन्न देशों द्वारा अपने प्रयासों का विस्तार करने में मदद करके स्वच्छ ऊर्जा के लिए इस संक्रमण को तेज कर सकती हैं.
ऊर्जा संक्रमण सूचकांक पर अर्थव्यवस्थाओं का प्रदर्शन:
• इस सूचकांक ने पर्यावरणीय स्थिरता, आर्थिक विकास और वृद्धि, ऊर्जा सुरक्षा और पहुंच संकेतकों के साथ-साथ टिकाऊ, सुरक्षित, सस्ती और समावेशी ऊर्जा प्रणालियों के लिए विभिन्न देशों/ अर्थव्यवस्थाओं की तत्परता के बारे में उनकी ऊर्जा प्रणालियों के प्रदर्शन के आधार पर 115 अर्थव्यवस्थाओं का रैंक प्रस्तुत किया है.
• वर्ष 2020 के परिणाम से पता चलता है कि 75% देशों ने अपनी पर्यावरणीय स्थिरता में सुधार किया है. यह वृद्धिशील दृष्टिकोणों का परिणाम है, जिनके तहत कार्बन के मूल्य निर्धारण के साथ कोयले के प्लांटों को समय से पहले बंद करना और नवीकरणीय ऊर्जा संसाधनों के लिए बिजली बाजारों को नया स्वरूप देना शामिल है.
• यह प्रगति मौजूदा नीतियों और प्रौद्योगिकियों से वृद्धिशील लाभ पर भरोसा करने की सीमाओं पर भी प्रकाश डालती है.
• उभरती अर्थव्यवस्थाओं ने विशाल समग्र प्रगति दिखाई है, हालांकि कोविड -19 संकट के बीच तत्काल आवश्यकता/ गिरावट के भी संकेत दिए हैं.
• इस रिपोर्ट में यूएस (32 वें), ब्राजील (47 वें), कनाडा (28 वें), और ऑस्ट्रेलिया (36 वें) स्थान पर है. इन सभी देशों में स्थिरता या गिरावट देखी गई है.
• वर्ष 2015 के बाद से 115 देशों में से केवल 11 देशों द्वारा प्रदर्शित किया गया स्थिर सुधार ऊर्जा संक्रमण की जटिलता को इंगित करता है.
• चीन, अर्जेंटीना, भारत और इटली ने लगातार सुधार दिखाया है. जबकि चेक गणराज्य, बांग्लादेश, बुल्गारिया, हंगरी, ओमान और केन्या ने भी समय बीतने के साथ महत्वपूर्ण प्रगति की है.
• वर्ष 2015 से कनाडा, लेबनान, चिली, मलेशिया, तुर्की और नाइजीरिया के स्कोर में गिरावट आई है.
• पहली बार, अमेरिका का स्थान शीर्ष 25 से बाहर रहा है जोकि ऊर्जा संक्रमण के लिए अनिश्चित नियामक दृष्टिकोण के कारण हो सकता है.
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