भारत में बनी अब तक की सबसे लंबी फिल्म तमिल भाषा की “थवमई थवामिरुंधु” (2005) है, जिसका निर्देशन चेरन ने किया है। हालांकि, अगर रनटाइम यानी कुल समय के हिसाब से देखें, तो असल में सबसे लंबी भारतीय फिल्म गोविंद निहलानी की “तमस” (1987) है। यह फिल्म मूल रूप से एक टेलीविजन मिनी-सीरीज के तौर पर प्रसारित हुई थी और इसकी लंबाई 5 घंटे 20 मिनट (लगभग 320 मिनट) से ज्यादा है। बाद में इसे फिल्म समारोहों में एक पूरी फीचर फिल्म के रूप में दिखाया गया।
रनटाइम के हिसाब से सबसे लंबी भारतीय फिल्म: तमस (1987)
भीष्म साहनी के उपन्यास पर आधारित फिल्म 'तमस' भारत के बंटवारे के दौरान हुई हिंसा और दर्द को दिखाती है। हालांकि, इसे दूरदर्शन के लिए एक टीवी सीरीज के रूप में बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में एक पूरी फिल्म के तौर पर रिलीज किया गया। इसका 5 घंटे से ज्यादा का रनटाइम इसे एक बार में दिखाई जाने वाली अब तक की सबसे लंबी भारतीय कहानी वाली फिल्म बनाता है।
भारत की अन्य लंबी फिल्में
LOC कारगिल (2003) – जे.पी. दत्ता के निर्देशन में बनी LOC कारगिल एक वॉर ड्रामा फिल्म है। यह 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध पर आधारित है। इसकी लंबाई 255 मिनट (4 घंटे 15 मिनट) है, जो इसे सिनेमाघरों में एक बार में रिलीज होने वाली सबसे लंबी बॉलीवुड फिल्मों में से एक बनाती है। इस फिल्म में संजय दत्त, अजय देवगन, अभिषेक बच्चन और सैफ अली खान जैसे कई बड़े कलाकार हैं। यह फिल्म युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी और उनके असली मिशन पर केंद्रित है।
मेरा नाम जोकर (1970)– राज कपूर द्वारा निर्देशित और अभिनीत, 'मेरा नाम जोकर' एक क्लासिक इमोशनल ड्रामा फिल्म है। इसकी लंबाई 244 मिनट (4 घंटे से ज्यादा) है। यह एक सर्कस के जोकर की कहानी बताती है, जो अपनी मुस्कान के पीछे अपना दर्द छुपाता है। फिल्म उसके जीवन के तीन अध्यायों के जरिए प्यार, दुख और कला की दुनिया को दिखाती है। हालांकि, रिलीज के समय यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी, लेकिन बाद में इसे 'कल्ट' का दर्जा मिला। अब इसे भारतीय सिनेमा की सबसे महत्वाकांक्षी और व्यक्तिगत फिल्मों में से एक माना जाता है।
गैंग्स ऑफ वासेपुर (2012)– अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी 'गैंग्स ऑफ वासेपुर' एक क्राइम ड्रामा फिल्म है। इसका कुल रनटाइम 319 मिनट (5 घंटे से ज्यादा) है, जो इसे भारत की सबसे लंबी फिल्मों में से एक बनाता है। यह कहानी झारखंड के वासेपुर इलाके की है, जहां कोयला माफिया का राज है। फिल्म में तीन पीढ़ियों तक चलने वाली गैंगवार, बदले और राजनीति को दिखाया गया है। इसकी लंबाई के कारण फिल्म को सिनेमाघरों में दो भागों में रिलीज किया गया था। लेकिन, अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर यह पूरी एक साथ उपलब्ध है। इस फिल्म को इसकी असलियत के करीब लगने वाली कहानी और उसे कहने के अंदाज के लिए आलोचकों से काफी सराहना मिली।
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