प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 फरवरी 2021 को पड़ोसी देशों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोविड-19 मैनेजमेंट की वर्कशॉप को संबोधित किया. उन्होंने इस दौरान पड़ोसी देशों के साथ कोविड-19 से लड़ने की तैयारी को लेकर चर्चा की.
उन्होंने सार्क देशों की मीटिंग के लिए एजेंडा सेट करते हुए सभी देशों के साथ कुछ बिंदुओं को लेकर सहमति बनाई. उन्होंने पड़ोसी देशों से डॉक्टर एवं नर्सों के लिए स्पेशल वीजा स्कीम बनाने पर विचार करने को कहा है.
डाक्टरों और नर्सों के लिए विशेष वीजा का सुझाव
प्रधानमंत्री मोदी ने पूरे दक्षिण एशिया एवं हिंद महासागर के देशों में स्वास्थ्य सेवाओं को एकजुट करने की पुख्ता जमीन तैयार करने के लिए उन्होंने डाक्टरों और नर्सों के लिए विशेष वीजा जारी करने का सुझाव दिया. इससे किसी भी देश में जरूरत पड़ने पर अन्य देशों से डाक्टरों और नर्सों को तत्काल भेजा जा सकेगा. इसी तरह इमरजेंसी की स्थिति में मरीजों को तत्काल बेहतर इलाज उपलब्ध कराने हेतु उन्हें एयर एंबुलेंस की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने की जरूरत बताई.
Hopes of our region & world are focus on rapid deployment of vaccines. In this too, we must maintain same cooperative & collaborative spirit. Over the past year, our health cooperation has achieved so much: PM address workshop on Covid-19 Management with 10 neighbouring countries pic.twitter.com/t83Nq04V4u
— ANI (@ANI) February 18, 2021
एयर एंबुलेंस की सुचारू आवाजाही
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि एयर एंबुलेंस की सुचारू आवाजाही सुनिश्चित करने हेतु सभी देशों के उड्डयन विभाग विशेष नियम बना सकते हैं. प्रधानमंत्री का कहना था कि भविष्य में कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए क्षेत्र के सभी देशों में निगरानी, रिपोर्टिग और इलाज का एक साझा तंत्र तैयार किया जाना चाहिए. कार्यशाला में पाकिस्तान समेत श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव, श्रीलंका, अफगानिस्तान और सेशेल्स के प्रतिनिधि मौजूद थे.
एकजुटता की भावना
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस महामारी ने हमें सहयोग और एकजुटता की भावना की महत्वपूर्ण सीख दी है. हम सभी को इसे बरकरार भी रखना चाहिए. विश्व और पूरे क्षेत्र की उम्मीदें अब टीकों की तेज गति से उपलब्धता पर टिकी हुई हैं.
क्षेत्रीय नेटवर्क बनाने का सुझाव
पीएम मोदी ने भविष्य में महामारी को रोकने के लिए तकनीक संचालित महामारी विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए एक क्षेत्रीय नेटवर्क बनाने का भी सुझाव दिया. उन्होंने अंत में प्रस्ताव रखा कि सार्क सदस्यों को कोविड-19 से आगे जाकर अपनी सफल जन स्वास्थ्य नीतियों और योजनाओं को एक-दूसरे के साथ साझा करना चाहिए.
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