टिकाऊ जैव ईंधन पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-2018 आयोजित

Feb 27, 2018, 16:00 IST

सम्मेलन में मिशन नवाचार सदस्य देशों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 50 अंतर्राष्ट्रीय शिष्टमंडल, आईईए बायोफ्यूचर प्लेटफार्म सदस्य देश, आईआरईएनए भाग ले रहे थे.

International conference on Sustainable Biofuels
International conference on Sustainable Biofuels

टिकाऊ जैव ईंधन पर 26 एवं 27 फरवरी 2018 को दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया गया. इस सम्मेलन का आयोजन भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा बायोफ्यूचर प्लेटफार्म द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
इस सम्मेलन में 19 देशों के टिकाऊ जैव ईंधन (Sustainable Biofuels) के विशेषज्ञ और प्रतिनिधि वर्तमान ज्ञान की समीक्षा करने तथा सूचना और श्रेष्ठ व्यवहारों को साझा करने के लिए एकत्रित हुए थे.

टिकाऊ जैव ईंधन सम्मेलन 2018 के लाभ

•    भाग लेने वाले सभी देशों की सामूहिक बुद्धिमत्ता से स्वच्छ ऊर्जा क्रांति को बढ़ावा मिलेगा.

•    इस सम्मेलन से विभिन्न देशों को अग्रवर्ती जैव ईंधनों के बारे में अनुभव और व्यवहारों को साझा करने तथा वाणिज्यीकरण में मदद मिलेगी.

•    यह स्वच्छ ऊर्जा में अनुसंधान तथा विकास और प्रदर्शन को प्रोत्साहित करने के लिए सबसे बड़ा बहुपक्षीय मंच है.

•    सम्मेलन में टिकाऊ जैव ईंधन चुनौती के सामूहिक नेतृत्व कर्ता – चीन, ब्राजील, कनाडा और भारत की सम्मेलन में भरपूर भागीदारी रही.

•    सम्मेलन में मिशन नवाचार सदस्य देशों के प्रतिनिधियों सहित लगभग 50 अंतर्राष्ट्रीय शिष्टमंडल, आईईए बायोफ्यूचर प्लेटफार्म सदस्य देश, आईआरईएनए भाग ले रहे थे.

 

टिप्पणी

परिवहन के लिए जीवाश्म ईंधन का उपयोग वैश्विक ग्रीन हाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में सहायक होता है. टिकाऊ जैव ईंधन में जीएचजी उत्सर्जन भार कम करने की क्षमता होती है और इसी कारण मिशन नवाचार के अंतर्गत टिकाऊ जैव ईंधन नवाचार चुनौती (एसबीआईसी) की स्थापना हुई है.

जैव ईंधन (बायो-फ्यूल)

फसलों, पेडों, पौधों, गोबर, मानव-मल आदि जैविक वस्तुओं (बायोमास) में निहित उर्जा को जैव ऊर्जा कहते हैं. इनका प्रयोग करके उष्मा, विद्युत या गतिज ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है. धरातल पर विद्यमान सम्पूर्ण वनस्पति और जन्तु पदार्थ को 'बायोमास' कहते हैं. जैव ईंधन का प्रयोग सरल होता है. यह प्राकृतिक तौर से नष्ट होने वाला तथा सल्फर तथा गंध से पूर्णतया मुक्त होता है. पौधे प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया के द्वारा सौर उर्जा को जैव ऊर्जा में बदलते हैं. यह जैव ऊर्जा, विभिन्न प्रक्रियायों से गुज़रते हुए विविध ऊर्जा स्रोतों का उत्पादन करती है. उदाहरण के लिए पशुओं को चारा, कृषि अवशेष के द्वारा खाना पकाना आदि यद्यपि कोयला एवं पेट्रोलियम भी पेड-पौधों के परिवर्तित रूप हैं, किन्तु इन्हे जैव-ऊर्जा के स्रोत की तरह नहीं माना जाता है क्योंकि ये प्रक्रिया हजारों वर्ष पहले हुई होगी.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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