यूनेस्को ने 05 फरवरी 2020 को गुलाबी नगरी जयपुर को 'विश्व धरोहर शहर' (World Heritage City) का औपचारिक प्रमाण पत्र सौंप दिया है. यूनेस्को की महानिदेशक आंद्रे अजोले ने अल्बर्ट हॉल में आयोजित एक समारोह में नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल को जयपुर का यह प्रमाण पत्र सौंपा.
यूनेस्को की महानिदेशक आंद्रे अजोले ने कहा कि जयपुर के लोगों ने टिकाऊ भविष्य के निर्माण हेतु सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के जो प्रयास किए हैं, उन्हें अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मान्यता दी. यूनेस्को की टीम ने दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शीश महल, मानसिंह महल और आमेर किले का दौरा किया. यूनेस्को के महानिदेशक आंद्रे अजोले ने आमेर किले को अतीत की याद दिलाने वाला बताया.
जयपुर शहर की स्थापना साल 1727 में राजा जयसिंह ने की थी. यह शहर अपनी स्थापत्य कला के कारण पर्यटकों में आकर्षण का केंद्र है. यहां की संस्कृति, वस्त्र सज्जा तथा लोकगीत लोगों को लुभाते रहे हैं. |
World Heritage City का प्रमाण पत्र से होने वाले फायेदे
जयपुर को हेरिटेज सिटी का दर्जा मिलने से घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा मिलने से लोकल अर्थव्यवस्था को बढावा मिलेगा. इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा. हस्तशिल्प और हस्तकरघा उद्योग की भी आमदनी होगा. यूनेस्को की गाइडलाइन के अंतर्गत एक राज्य से हर साल केवल एक स्थान को ही वर्ल्ड हेरिटेज बनाने हेतु प्रस्तावित किया जा सकता है.
भारत सरकार ने गुलाबी शहर जयपुर को यूनेस्को की विश्व धरोहर घोषित करने के लिए अगस्त 2018 में एक प्रस्ताव भेजा था. राजस्थान में 37 विश्व धरोहर स्थल हैं. इनमें चित्तौड़गढ़ किला, कुंभलगढ़, जैसलमेर, रणथंभौर और गागरोन किला शामिल हैं.
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विश्व धरोहर शहर (World Heritage City) क्या है?
युनेस्को विश्व विरासत स्थल ऐसे खास स्थानों (जैसे वन क्षेत्र, पर्वत, झील, मरुस्थल, स्मारक, भवन या शहर इत्यादि) को कहा जाता है. इनका चयन विश्व धरोहर समिति द्वारा किया जाता है. यह समिति यूनेस्को की सहायता से इन स्थलों की देखरेख करती है.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य विश्व के ऐसे स्थलों को चयनित एवं संरक्षित करना होता है जो विश्व संस्कृति की दृष्टि से मानवता हेतु अहम हैं. कुछ खास परिस्थितियों में ऐसे स्थलों को इस समिति द्वारा आर्थिक सहायता भी दी जाती है.
प्रत्येक विरासत स्थल उस देश विशेष की संपत्ति होती है, जिस देश में वह जगह स्थित हो. परंतु अंतरराष्ट्रीय समुदाय का हित भी इसी में होता है कि वे आनेवाली पीढियों के लिए और मानवता के हित हेतु इनका संरक्षण करें. यूनेस्को का मानना है कि संपूर्ण विश्व समुदाय इसके संरक्षण के लिए जिम्मेदार है. यूनेस्को की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, एक विश्व विरासत स्थल के चयन हेतु छह सांस्कृतिक और चार प्राकृतिक मानदंड हैं.
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