जापान बना रहा है लकड़ी की सैटेलाइट, जानें क्या है पूरी योजना

Jan 5, 2021, 10:47 IST

अंतरिक्ष में अब ऐसे सेटेलाइट भेजने की तैयारी हो रही है जो लकड़ी से बना होगा. वापस आते समय धरती दाखिल होते ही यह पूरी तरह जल जायेगा जिससे कोई मलबा तैयार नहीं होगा और अंतरिक्ष सुरक्षित रहेगा.

Japan solution to space junk problem is wooden satellites that would burn up upon reentry in Hindi
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जापान की एक कंपनी और क्योटो विश्वविद्यालय साथ मिलकर दुनिया की पहली लकड़ी की सैटेलाइट बनाने पर काम कर रहे हैं. अंतरिक्ष में अब ऐसे सेटेलाइट भेजने की तैयारी हो रही है जो लकड़ी से बना होगा. वापस आते समय धरती दाखिल होते ही यह पूरी तरह जल जायेगा जिससे कोई मलबा तैयार नहीं होगा और अंतरिक्ष सुरक्षित रहेगा. हालांकि, जापान इस नये सेटेलाइट पर काम कर रहा है.

जापान इस पर लंबे समय से शोध कर रहा है. ऐसा सेटेलाइट बनाने की योजना है जिससे ज्यादा मलबा तैयार ना हो और अंतरिक्ष में ज्यादा कचरा जमा ना हो. उन्हें उम्मीद है कि साल 2023 तक वो इसे बनाने में कामयाब होंगे. सुमितोमो फॉरेस्ट्री कंपनी के अनुसार उन्होंने इसके लिए पेड़ की ग्रोथ और अंतरिक्ष में लकड़ी की सामग्री के उपयोग पर शोध शुरू कर दिया है.

स्पेस जंक: एक नजर में

इस मटीरियल का प्रयोग पहले पृथ्वी के अलग-अलग वातावरण में किया जाएगा. उपग्रहों की बढ़ती संख्या के कारण अंतरिक्ष में कचरा बढ़ता जा रहा है, इसे स्पेस जंक कहते हैं. लकड़ी के सैटेलाइट पृथ्वी के वातावरण में लौटने पर जल जाएंगें, इनसे किसी तरह के हानिकारक पदार्थ नहीं निकलेंगे और किसी तरह का मलबा भी धरती पर नहीं गिरेगा.

विश्व आर्थिक मंच के मुताबिक, लगभग 6,000 उपग्रह पृथ्वी का चक्कर लगा रहे है. उनमें से लगभग 60 प्रतिशत बेकार (स्पेस जंक) हैं. स्पेस जंक 22,300 मील प्रति घंटे से ज़्यादा की गति से घूमते हैं, इसलिए किसी वस्तु के टकराने से काफी नुकसान हो सकता है.

इसकी जरूरत क्यो पड़ रही है?

दिन प्रतिदिन अंतरिक्ष में बढ़ता कचरा खतरा बन सकता है. नासा के अनुसार पांच लाख से ज्यादा मलबे के टुकड़े हमारी धरती के चक्कर काट रहे हैं. इनमें से कई तेजी से घूम रहे हैं. कई विशेषज्ञों ने यह भी माना है कि इससे अंतरराष्ट्रीय स्पेश स्टेशन को भी खतरा हो सकता है.

2023 तक इस समस्या का सामाधान

जापान की क्योटा यूनिवर्सिटी और कंस्ट्रक्शन कंपनी सुमितोमो वानिकी दो सालों तक इस पर शोध करेगी. इस समस्या का सामाधान साल 2023 तक निकालने की कोशिश करेगी. इसके तहत लकड़ी की सैटेलाइट पर काम हो रहा है. जापान के ऐस्ट्रोनॉट और यूनिवर्सिटी प्रफेसर तकाओ दोई का भी मानना है कि यह बड़ी समस्या है.

अंतरिक्ष का मलबा: एक नजर में

दुनिया भर के कई सैटेलाइट अंतरिक्ष से धरती वापस लौटते हैं धरती में वापस लौटते समय यह जल जाते हैं. इनका मलबा वायुमंडल में घूमता रहता है जो अब एक बड़ा खतरा बनकर सामने आ रहा है. ये टूकड़े 17,500 मील प्रतिघंटा की रफ्तार तक हासिल कर लेते हैं. इससे अदाजा लगाया जा सकता है कि अंतरिक्ष में बढ़ता मलबा कितना खतरनाक हो सकता है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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