पाक को एक और झटका, कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक

Jul 18, 2019, 10:34 IST

पाकिस्तान के एक सैन्य कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाया था. कोर्ट ने अप्रैल 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी. भारत इसका कड़ा विरोध करते हुए मामले को आइसीजे ले गया था.

Kulbhushan Jadhav case
Kulbhushan Jadhav case

नीदरलैंड्स के द हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आइसीजे) ने भारत के कुलभूषण जाधव के पक्ष में बड़ा फैसला सुनाया है. आइसीजे ने अपने फैसले में कहा कि कुलभूषण जाधव की फांसी पर रोक लगेगी और कूलभूषण जाधव के केस पर फिर से नए सिरे से विचार होगा.

आइसीजे ने पाकिस्तान को वियना समझौते का पालन नहीं करने पर फटकार लगाई है और कहा है कि भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत (काउंसिलर एक्सेस) दी जाए. अदालत ने 15-1 से भारत के पक्ष में फैसला सुनाया. इस फ़ैसले के बाद भारत का पक्ष रखने वाले वकील हरीश साल्वे ने कहा कि अदालत से भारत को राहत मिली है.

फांसी की सजा

पाकिस्तान के एक सैन्य कोर्ट ने कुलभूषण जाधव को जासूसी और आतंकवाद के आरोप लगाया था. कोर्ट ने अप्रैल 2017 में फांसी की सजा सुनाई थी. भारत इसका कड़ा विरोध करते हुए मामले को आइसीजे ले गया था. यह मामला आइसीजे में लगभग दो साल दो महीने तक चला. इस बीच भारत और पाकिस्तान के संबंधो में काफी कड़वाहट आने से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी यह मामला काफी उछला.

न्यायालय ने इस मामले को सुनने के आइसीजे के अधिकार को लेकर पाकिस्तान की आपत्तियों को सिरे से खारिज किया है. न्यायालय ने साफ तौर पर कहा है कि दूसरे देश के अधिकारी या सैन्य कर्मी को पकड़े जाने पर लागू वियना समझौते के अनुसार पाकिस्तान सरकार ने कदम नहीं उठाये हैं.

वियना समझौता क्या है?

वियना समझौता के अनुसार, राजनयिकों को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है और न ही उन्हें किसी तरह की हिरासत में रखा जा सकता है. आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर सबसे पहले साल 1961 में वियना सम्मेलन हुआ था. इस सम्मेलन के तहत एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय समझौते का प्रावधान किया गया जिसमें राजनियकों को विशेष अधिकार दिये गये. इसके आधार पर ही राजनियकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया.

इस समझौते के तहत कुल 54 आर्टिकल हैं. फरवरी 2017 में इस समझौता पर हस्ताक्षर कर 191 देशों ने के पालन के लिए अपनी सहमति जताई थी. इस समझौते के आर्टिकल 36 के मुताबिक यदि कोई देश किसी विदेशी नागरिक को गिरफ्तार करता है तो संबंधित देश के दूतावास को तुरंत इसकी सूचना देनी पड़ेगी. भारत ने आईसीजे में इसी आर्टिकल 36 के प्रावधानों का हवाला देते हुए कुलभूषण जाधव का मामला उठाया है.

इस समझौते की धारा 36 के तहत पाकिस्तान ने कुलभूषण जाधव को उसके अधिकार के बारे में नहीं बताया. पाकिस्तान ने भारत को भी कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी के बारे में तुरंत नहीं बताया और भारतीय राजनयिकों को जाधव से मिलने की इजाजत (काउसंलर एक्सेस) नहीं दी. भारत को अपने नागरिक तक राजनयिक पहुंच बनाने की इजाजत दी जानी चाहिए थी, ताकि उसे सही कानूनी प्रतिनिधित्व दिया जा सके.

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कुलभूषण जाधव का मामला क्या है?

कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने जासूसी के आरोप में फांसी की सजा सुनाई है. भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव फिलहाल पाकिस्तान जेल में बंद है. पाकिस्तान का आरोप है कि कुलभूषण जाधव एक भारतीय जासूस हैं. भारत वहीं कहता है कि जाधव का ईरान से अपहरण किया गया. भारत ने पाकिस्तान के इस एकतरफा फैसले को आईसीजे में चुनौती दी है.

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Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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