मेट्रो रेल कंपनियों की खरीद प्रक्रिया और टेंडर दस्तावेजों में कई वैधानिक संशोधन किये गये हैं ताकि मेट्रो रेल के कोच और उससे उपकरणों की खरीद हेतु घरेलू कंपनियों को प्राथमिकता दी जा सके.
केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से मेट्रो रेल परियोजनाओं में ज्यादा से ज्यादा घरेलू कंपनियों के उत्पादों की खरीद को अनिवार्य कर दिया है.
खरीद किए जाने वाले कई अहम उपकरणों में शुमार सिग्नल की मशीनें, मेट्रो के डिब्बे प्रमुख होंगे. लेकिन इसमें मानकों के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा.
टेंडर हेतु निर्धारित नये नियमों और उच्च मानकों पर खरे उतरने वाले उपकरणों के बारे में आवश्यक सूचना सभी मेट्रो रेल कंपनियों को भेज दिया गया है, जिसे वैधानिक भी कर दिया गया है. इसे तत्काल प्रभाव से लागू करने के निर्देश भी दिये गये हैं.
केंद्र सरकार की इस पहल से उपकरण बनाने वाली देसी कंपनियों को अपने कारोबार बढ़ाने में काफी सहूलियत होगी. मौजूदा प्रावधानों में संशोधन हो जाने से तरह-तरह के उपकरणों के निर्माण में तेजी आएगी.
सबसे ज्यादा समस्याएँ रेल के डिब्बे और सिग्नल उपकरणों की खरीद को लेकर होती थी, अधिकतर कंपनियां इन उपकरणों का आयात करती रही हैं. मंत्रालय ने मेट्रो रेल कंपनियों के टेंडर दस्तावेजों में वैधानिक प्रावधानों को शामिल कर दिया है.
इसके अंतर्गत 75 प्रतिशत मेट्रो रेल के डिब्बों और खास उपकरणों का निर्माण घरेलू में होगा, जिसे कंपनियां खरीदेंगी. इससे इन डिब्बों और अन्य मेट्रो उपकरणों की मरम्मत व रखरखाव में सहूलियत होगी. राज्यों की ओर से होने वाली खरीद के मानक भी यही होंगे, जिन्हें स्वीकार करना अनिवार्य होगा.
कंपनियां अंदरुनी तौर पर विभिन्न अहम कलपुर्जों के निर्माण में विशेषज्ञता कायम करें. मेट्रो रेल का आकार बहुत तेजी से बढ़ा है, जिसके लिए उन्हें अपने यहां ही रखरखाव पर जोर देना होगा.
वर्तमान में देश में कुल 1912 मेट्रो कोच हैं, जिसके अगले तीन सालों में कुल 1600 मेट्रो डिब्बों की जरूरत होगी. हरेक कोच की अनुमानित लागत 10 करोड़ रुपए है.
शहरी विकास मंत्रालय ने मेट्रो के डिब्बों और अन्य उपकरणों के मानकों के लिए लंबित फैसले को मंजूरी दे दी है. मौजूदा मानकों के आधार पर 90 प्रतिशत आयात पर निर्भरता रहती है. सिग्नल से जुड़े कुल नौ तरह के उपकरणों की खरीद अब देश के अन्दर ही हो सकेगी.
फिलहाल देश के सात शहरों दिल्ली, जयपुर, गुड़गांव, कोलकाता, मुंबई, बेंगलुरु और चेन्नई में कुल 326 किमी लंबी मेट्रो परियोजना है. जबकि 546 किमी रेल पटरियां 11 शहरों में बिछाई जा रही हैं. वहीं देश के 13 शहरों में 903 किमी लंबाई की मेट्रो पटरियां बिछाने पर विचार चल रहा है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation