राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के अनुशासनात्मक पैनल ने 17 फरवरी 2020 को एतिहासिक फैसला सुनाते हुए जेवलिन थ्रो खिलाड़ी अमित दहिया पर चार साल का बैन लगा दिया है. अमित दहिया ने पिछले साल राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप के दौरान डोप नमूने के लिए अपनी जगह किसी और को भेज दिया था.
हरियाणा के सोनीपत में 16 अप्रैल 2019 को हुई राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप प्रतियोगिता में अमित दहिया 68.21 मीटर के अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. नाडा के अधिकारियों ने इसके बाद अमित दहिया को डोप नमूने देने को कहा था लेकिन अपनी जगह उन्होंने नूमना देने के लिए किसी और को भेज दिया.
नाडा ने अमित दहिया पर प्रतिबंध क्यों लगाया?
राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप प्रतियोगिता में अमित दहिया अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. नाडा के अधिकारियों ने इसके बाद अमित दहिया को डोप नमूने देने को कहा था. सत्यापन प्रक्रिया के दौरान नाडा के डोप नमूने एकत्रित करने वाले अधिकारियों को पता चला कि मूत्र के नमूने देने के लिए आया व्यक्ति कांस्य पदक विजेता नहीं है. वह व्यक्ति इस योजना की विफलता के बारे में जानकार उस कमरे से भाग गया जहां नमूने एकत्रित किए जा रहे थे.
नाडा का फैसला
अमित दहिया को 16 जुलाई 2019 को अस्थाई तौर पर निलंबित किया गया था. नाडा ने अमित दहिया के मामले को 09 जनवरी 2020 को एडीडीपी (अनुशासनात्मक पैनल) के पास भेज दिया. एडीडीपी ने अब दाहिया को अस्थाई निलंबन की तारीख से चार साल तक निलंबित करने का फैसला सुनाया है.
नाडा ने कहा कि राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी ने भाला फेंक के खिलाड़ी अमित दहिया को सोनीपत के साइ केंद्र में दूसरी राष्ट्रीय भाला फेंक ओपन चैंपियनशिप 2019 के दौरान जानबूझकर नमूना देने से बचने तथा डोपिंग रोधी अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी के प्रयास हेतु सजा सुनाई है.
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राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (नाडा) के बारे में
नाडा युवा कार्य और खेल मंत्रालय के अंतर्गत स्वायत्त ईकाई है, जो खेलों में डोपिंग की जांच करती है. सरकार नाडा के काम में दखल नहीं देती और डोपिंग से जुड़े मामलों में पूरी पारदर्शिता तथा निष्पक्षता बरतती है. नाडा, वाडा के तहत काम करती है. वाडा का काम डोपिंग को चेक करना है. इसी मामलों में अंतिम फैसला वाडा ही करती है. खिलाड़ी को यहां पर अपनी बात रखने का मौका मिलता है.
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