नासा ने रचा इतिहास, मंगल की सतह पर उतरा Perseverance रोवर

Feb 19, 2021, 12:10 IST

धरती से टेकऑफ करने के सात महीने बाद यह मंगल ग्रह पर पहुंचा है. इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला विश्व का पहला देश बन गया है.  

NASA’s Perseverance rover makes historic Mars landing in Hindi
NASA’s Perseverance rover makes historic Mars landing in Hindi

अमेरिकी स्पेस एजेंसी (NASA) का अंतरिक्ष यान भारतीय समय के मुताबिक 18 फरवरी 2021 को रात 2 बजकर 25 मिनट पर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर पर सफलतापूर्वक लैंड कर चुका है. धरती से टेकऑफ करने के सात महीने बाद यह मंगल ग्रह पर पहुंचा है. इसी के साथ अमेरिका मंगल ग्रह पर सबसे ज्यादा रोवर भेजने वाला विश्व का पहला देश बन गया है. 

नासा के इस ऐतिहासिक मिशन को लीड करने वालों में भारतीय मूल की वैज्ञानिक डॉक्टर स्वाति मोहन भी शामिल हैं. स्वाति मोहन ने ही रोवर के लैंडिंग सिस्टम को विकसित किया है. जिस समय रोवर मंगल की सतह को छू रहा था तब डॉक्टर स्वाति मोहन नासा की प्रोजेक्ट टीम के साथ को-ऑर्डिनेट कर रहीं थीं. मंगल की सतह पर पहुंचते ही रोवर ने वहां की तस्वीरें भेजना शुरू कर दिया है.

स्वाति मोहन कौन हैं?

डॉ. स्वाति मोहन एक भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक हैं. वे एक वर्ष की आयु में ही अमेरिका चली गयी थी. उनका पालन-पोषण उत्तरी वर्जीनिया, वाशिंगटन डीसी मेट्रो क्षेत्र में हुआ. उन्होंने मैकेनिकल और एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से बीएससी और एरोनॉटिक्स, एस्ट्रोनॉटिक्स में एमआईटी और पीएचडी की. स्वाति नासा के जेट प्रोपल्शन प्रयोगशाला में शुरुआत से ही मार्स रोवर मिशन की सदस्य रही हैं.

इस रोवर का उद्देश्य

इस रोवर को मंगल ग्रह पर भेजने का उद्देश्य प्राचीन जीवन का पता लगाना तथा मिट्टी और पत्थरों का सैंपल लेकर धरती पर वापस आना है. 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है.

जेजेरो क्रेटर: एक नजर में

जेजेरो क्रेटर (Jezero Crater) मंगल ग्रह का अत्यंत दुर्गम इलाका है. जेजेरो क्रेटर में गहरी घाटियां, तीखे पहाड़, नुकीले क्लिफ, रेत के टीले और पत्थरों का समुद्र है.

पर्सिवरेंस मार्स रोवर

पर्सिवरेंस मार्स रोवर 1000 किलोग्राम वजनी है. जबकि, इंजीन्यूटी हेलिकॉप्टर 2 किलोग्राम वजन का है. मार्स रोवर परमाणु ऊर्जा से चलेगा. यानी पहली बार किसी रोवर में प्लूटोनियम को ईंधन के तौर पर उपयोग किया जा रहा है. यह रोवर मंगल ग्रह पर 10 साल तक काम करेगा. इसमें सात फीट का रोबोटिक आर्म, 23 कैमरे और एक ड्रिल मशीन है. ये मंगल ग्रह की तस्वीरें, वीडियो और नमूने लेंगे.

लैंडिंग के लिए 60 जगहों का चयन

गौरतलब है कि कि इस यान की लैंडिंग की जगह को विश्वभर के वैज्ञानिकों ने मिलकर चुना है. विशेषज्ञों ने मंगल पर इसकी लैंडिंग के लिए 60 जगहों का चयन किया था. पांच वर्षों तक इन सभी के विश्‍लेषण के बाद इस क्रेटर पर सबकी सहमति हुई. वैज्ञानिकों का मानना है कि यहां पर वर्षों पहले बनी झील और नदी की मौजूदगी से यहां पर खनिज मौजूद हो सकते हैं. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये जीवन के लिए एक उत्‍तम जगह हो सकती है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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