दिल्ली हाईकोर्ट ने 27 दिसम्बर 2017 को कहा कि किसी के पास भी खाली जमीन और खासकर सरकारी भूखंड के कब्रिस्तान के रूप में इस्तेमाल का अधिकार नहीं है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल एवं न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने एक जनहित याचिका पर यह व्यवस्था दी.
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हालांकि इसमें सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट के एक आदेश को चुनौती दी गयी है, जिसमें पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर इलाके में एक सरकारी भूखंड के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठाये गए हैं.
पृष्ठभूमि:
सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट ने उत्तम नगर के एक एनजीओ को नोटिस जारी कर उससे सवाल किया है कि उसने सरकारी भूखंड पर कब्जा कैसे कर लिया और उसका इस्तेमाल कब्रिस्तान के रूप में कैसे कर रहा है.
मुख्य तथ्य:
• हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एनजीओ कब्रिस्तान इंतजामिया एसोसिएशन ने एक विधायक के बयान पर सरकारी भूमि का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया और ‘उस भूमि से संबंधित कानूनी अधिकार के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है.
• हाईकोर्ट ने कहा कि सभी विषयों पर विचार के बाद वह इस नतीजे पर पहुंची है कि सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट, द्वारका के 01 अगस्त 2017 के फैसले में कुछ भी गैर-कानूनी नहीं है.
• मजिस्ट्रेट अदालत के फैसले के खिलाफ दायर एनजीओ की याचिका खारिज करते हुए अदालत ने कहा की किसी भी व्यक्ति को खाली जमीन और खासकर सरकारी भूखंड के कब्रिस्तान के रूप में अंधाधुंध इस्तेमाल का कोई अधिकार नहीं है.
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