विद्युत मंत्रालय ने जारी किया बिजली संशोधन विधेयक का नया मसौदा, जानें विस्तार से

Apr 20, 2020, 14:15 IST

केंद्रीय बिजली मंत्रालय साल 2014 से बिजली (संशोधन) विधेयक का चौथा मसौदा लेकर आया है, जो विद्युत अनुबंध स्थापित करने का प्रयास करता है.

Power Ministry brings new draft of Electricity Amendment Bill  in Hindi
Power Ministry brings new draft of Electricity Amendment Bill in Hindi

केंद्रीय विद्युत मंत्रालय ने हाल ही में बिजली क्षेत्र में बड़े सुधार की तरफ कदम बढ़ाते हुए बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को मंजूरी दे दी है. इसके अंतर्गत समाज के बेहद गरीब तबके के लोगों और इस वक्त सब्सिडी का लाभ ले रहे लोगों तक सीधे लाभ पहुंचाने के लिए बिजली क्षेत्र में भी सब्सिडी वितरण के लिए प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) का तरीका अपनाने का प्रावधान किया गया है.

विद्युत मंत्रालय ने हाल ही में बिजली संशोधन विधेयक का नया मसौदा जारी सार्वजनिक सुझाव आमंत्रित करने के लिए जारी किया है. केंद्रीय बिजली मंत्रालय साल 2014 से बिजली (संशोधन) विधेयक का चौथा मसौदा लेकर आया है, जो विद्युत अनुबंध स्थापित करने का प्रयास करता है. मंत्रालय ने 17 अप्रैल को यह मसौदा जारी किया और लोगों से तीन हफ्ते के भीतर अपने सुझाव देने को कहा है.

मुख्य बिंदु

• विधेयक के अनुसार बिजली के टैरिफ का निर्धारण आयोगों द्वारा सब्सिडी को ध्यान में रखे बगैर किया जाएगा और सब्सिडी सीधे लक्षित ग्राहकों के खातों में डाल दी जाएगी.

• सरकार ने विधेयक का मसौदा आम लोगों की सलाह आमंत्रित करने के लिए जारी कर दिया है. लोगों को इस पर अपनी राय देने के लिए 21 दिनों की समय दी गई है.

• यह विधेयक पारित हो जाने के बाद बिजली कानून, 2003 का स्थान लेगा. बिजली क्षेत्र में डीबीटी लागू होने के बाद न केवल राज्य सरकारों के खजाने से बिजली सब्सिडी का बोझ हटेगा, बल्कि कमर्शियल और इंडस्ट्रियल बिजली दरों में भी बड़ी कमी आएगी और उद्योगों को लाभ होगा.

• इसकी वजह यह है कि राज्य सरकारें बिजली पर जितनी भी सब्सिडी देती हैं, उसकी भरपाई वे कमर्शियल और इंडस्ट्रियल ग्राहकों से ही करती हैं.

• डीबीटी की व्यवस्था होने के बाद उद्योगों और कारोबारी जगत की बिजली दरों में 40 प्रतिशत तक की गिरावट संभव हो सकेगी.

पृष्ठभूमि

यह साल 2014 के बाद से बिजली संशोधन विधेयक का चैथा मसौदा है. इसमें विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण (ईसीईए) की स्थापना का भी प्रस्ताव रखा गया है. इस अथॉरिटी को बिजली खरीद करार के मुदृदे पर बिजली उत्पादन और वितरण कंपनियों के बीच विवाद के निपटारे हेतु सिविल कोर्ट जैसे अधिकार देने का भी प्रस्ताव रखा गया है. हालांकि इस अथॉरिटी के फैसलों को बिजली अपीलीय आयोग और फिर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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