दिल्ली में यातायात विसंकुलन पर राजीव गाबा समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपी

Jun 9, 2016, 17:36 IST

शहर में सुरक्षित, टिकाऊ, किफायती, न्यायसंगत, सहज, सुलभ और पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए समिति ने 4-आयामी रणनीति की सिफारिश की है.

5 जून 2016 को दिल्ली में यातायात विसंकुलन पर रिपोर्ट देने के लिए बनी राजीव गाबा समिति ने अपनी रिपोर्ट केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय को सौंप दी.
शहर में सुरक्षित, टिकाऊ, किफायती, न्यायसंगत, सहज, सुलभ और पर्यावरण के अनुकूल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुनिश्चित करने के लिए समिति ने 4-आयामी रणनीति की सिफारिश की है, इसमें शामिल है–

i.  सार्वजनिक परिवहन में सुधार और निजी वाहनों के प्रयोग को हतोत्साहित करना.
ii. सड़क सुरक्षा और कुशल यातायात प्रबंधन को बढ़ावा देना.
iii एकीकृत महानगरीय परिवहन प्राधिकरण की स्थापना और संस्थागत क्षमता में सुधार
iv. एकीकृत भूमि प्रयोग और परिवहन योजना के माध्यम से ट्रांजिट उन्मुख विकास को बढ़ावा

समिति की प्रमुख सिफारिशें

• यह राष्ट्रीय राजधानी में परिवहन योजना में बदलाव और ऑटोमोबाइल आबादी में विस्फोटक बढ़ोतरी को रोकने के लिए नीतिगत हस्तक्षेप की बात करता है.
• यह लोगों को कारों की तुलना में कुशल सार्वजनिक परिवहन प्रणाली से यात्रा करने की अनुशंसा करता है.
• समिति ने इस बात पर गौर किया कि शहर का 21 फीसदी इलाका सड़कों के तहत आता है  और सड़कों के नेटवर्क का विस्तार करने की संभावना सीमित है. साथ ही 60 फीसदी यात्री दौरे 4 किमी से कम दूरी की और 80 फीसदी यात्री दौरे 6 किमी दूरी से कम की होती है.
• चूंकि ये छोटी दूरियां गैर–मोटरकृत परिवहन के लिए आदर्श हैं, यह राष्ट्रीय राजधानी में पैदल चलने और साइकिल से चलने को बढ़ावा देने के लिए अनिवार्य संरचनात्मक ढांचे को विकसित करने की दृढ़ता से सिफारिश करता है.
• इस समिति की राय में सड़कों को चौड़ा कर, अधिक से अधिक फ्लाइओवरों, फुट ओवर ब्रिजों, अंडर पास आदि के निर्माण पर फोकस के साथ ऑटोमोबाइल सेंट्रिक योजना ने सिर्फ निजी वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया है जो परिवहान की आवश्यकताओं का 20 फीसदी से भी कम को पूरा करते हैं और इसे तब तक और बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए जब तक कि नदियों जैसे प्राकृतिक बाधाओँ द्वारा वारंटी न हो.


• समिति ने कुकुरमुत्ते की तरह बढ़ रहे निवासी सोसायटी, जो स्थानीय यातायात को लोगों को चलने के लिए शॉर्ट कट्स का इस्तेमाल करने पर रोक कर मुख्य सड़कों पर आने के लिए मजबूर करते हैं, पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
• समिति ने शहर में कुल परिवहन में  आगामी पांच वर्षों में सार्वजनिक परिवहन और गैर–मोटरीकृत दौरों के लिए 80 फीसदी हिस्सेदारी सक्षम करने के लिए विभिन्न उपाय करने की भी मांग की है.
• समिति ने यह कहते हुए अपनी बात खत्म की कि ऑटोमोबाइल की आबादी के विस्फोटक विकास को 'कैरट एंड स्टिक' नीति को अपनाकर जल्द रोकने की जरूरत है ताकि सार्वजनिक और गैर– मोटरीकृत परिवहन का प्रयोग बढ़ाया जा सके.
• यह हतोत्साहित करने वाले पार्किंग शुल्क और भीड़ टैक्स के माध्यम से निजी वाहनों के इस्तेमाल को हतोत्साहित करने की भी सिफारिश करता है.
• बेहतर समन्वय, त्वरित फैसले और कार्यान्वयन के लिए एककीकृत महानगर परिवहन प्राधिकरण बनाया जाना चाहिए . यह शहर में परिवहन के विभिन्न पहलुओं की देखरेख करने वाले केंद्र और दिल्ली सरकार के 18 विभागों और एजेंसियों का स्थान ले लेगा.  
• इसकी अनुसंशाओं को लागू करने के लिए, समिति ने बस रैपिड ट्रांसपोर्ट सिस्टम (बीआरटीएस), बसों, पैदल चलने और साइकिल से चलने के लिए संरचनात्मक ढांचे के माध्यम से 20000 करोड़ रुपयों के इस्तेमाल का सुझाव दिया है.

पृष्ठभूमि

• दिल्ली में यातायात के भीड़ से होने वाली समस्याओं पर मीडिया रिपोर्टों को देखते हुए शहर में यातायात की विसंकुलन पर बनी उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने अक्टूबर 2014 में की थी.
• अंतर–मंत्रालयी शहरी विकास समिति के अध्यक्ष के सचिव राजीव गौबा थे. उनके साथ केंद्र और दिल्ली सरकार के 19 अलग–अलग मंत्रालयों और एजेंसिया, दिल्ली पुलिस और सभी शहरी स्थनीय निकायों के प्रतिनिधि थे.
• समिति ने 126 पेजों के व्यापक रिपोर्ट में यातायात संकुलन के कारणों और परिणामों का विश्लेषण किया है और इसे दूर करने का सुझाव दिया है.

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