संसद के ऊपरी सदन राज्य सभा द्वारा 21 मार्च 2017 को एचआईवी एड्स (बचाव एवं नियंत्रण) विधेयक,2014 पारित किया गया.
इस विधेयक में जिन लोगों को एचआईवी एड्स है उन्हें दूसरे नागरिकों के समान सभी अधिकार दिए जाने के लिए सुनिश्चित किया गया है. इसमें कहा गया कि इन लोगों को शैक्षिक संस्थानों तथा रोज़गार में समान अधिकार मिलने चाहिए.
मुख्य बिंदु
• सदन में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा द्वारा यह बिल पेश किया गया. इस बिल को पहली बार फरवरी 2014 में यूपीए सरकार द्वारा 29 मंत्रालयों के 21 विभागों से बातचीत के बाद सदन में लाया गया था.
• विधेयक के प्रावधानों के बारे में बताते हुए नड्डा ने कहा एचआईवी के साथ रहने वाले लोगों को विधायी समर्थन देगा और नफरत की भावना को निषेध करेगा.
• यह सुनिश्चित किया जायेगा कि 18 वर्ष से कम आयु वाले एचआईवी से संक्रमित व्यक्तियों को साझा घर में रहने और अपनी सुविधाओं का आनंद लेने का अधिकार दिया जायेगा.
• यह विधेयक एचआईवी पॉजिटिव लोगों के खिलाफ रोजगार, स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं और संपत्ति खरीदने अथवा किराए पर लेने के संबंध में अस्वीकार्य, समाप्ति, विच्छेदन या भेदभाव भी प्रतिबंध लगाता है.
• सदन में कांग्रेस नेता जयराम रमेश के प्रश्न का जवाब देते हुए बताया गया कि विधेयक द्वारा यह सुनिश्चित किया जायेगा कि एचआईवी/एड्स से पीड़ित किसी भी व्यक्ति को पूरा इलाज मिले.
इस विधेयक को सदन में सभी का पूरा समर्थन प्राप्त हुआ तथा सदस्यों ने राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन तथा ब्लड बैंकों के लिए अधिक बजट दिए जाने की मांग की.

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