सिंगापुर ने क्षेत्रीय वृहद आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते को 09 अप्रैल 2021 को अंगीकार कर लिया है. इस बहुपक्षीय व्यापार समझौते की अभिपुष्टि करने वाला सिंगापुर पहला देश बन गया है. इस समझौते में आसियान क्षेत्र के दस देशों के साथ ही आस्ट्रेलिया, चीन, जापान, न्यूजीलैंड और दक्षिण कोरिया शामिल हैं.
आरसीईपी चीन की अगुवाई में किया गया विश्व का सबसे बड़ा मुक्त व्यापार समझौता है लेकिन भारत ने इस समझौते को स्वीकार नहीं किया. विशेषज्ञों का कहना था कि यह माना जा रहा था कि यह बड़े उपभोक्ता आधार के साथ एक अहम बाजार होगा और इसमें निर्यात की भी अच्छी संभावनायें होंगी.
आर्थिक संपर्को को मजबूत करने की ठोस प्रतिबद्धता
सिंगापुर के व्यापार और उद्योग मंत्री चन चुन सिंग ने कहा कि सिंगापुर की तरफ से क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते की त्वरित पुष्टि से सिंगापुर का उसके व्यवसायियों और लोगों के फायदे हेतु हमारे भागीदारों के साथ व्यापार और आर्थिक संपर्को को मजबूत करने की ठोस प्रतिबद्धता का संकेत मिलता है.
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) क्या है?
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP), आसियान के दस सदस्य देशों तथा पाँच अन्य देशों (ऑस्ट्रेलिया, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूज़ीलैंड) द्वारा अपनाया गया एक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) है. इस समझौते पर 15 नवंबर 2020 को हस्ताक्षर किये गए.
क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी देश विश्व की एक-तिहाई आबादी और वैश्विक जीडीपी के 30 प्रतिशत हिस्से (लगभग 26 ट्रिलियन से अधिक) का प्रतिनिधित्व करते हैं.
आरसीईपी की अवधारणा नवंबर 2011 में आयोजित 11 वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान प्रस्तुत की गई और नवंबर 2012 में कंबोडिया में आयोजित 12वें आसियान शिखर सम्मेलन के दौरान इस समझौते की प्रारंभिक वार्ताओं की शुरुआत की गई.
भारत के साथ अन्य 15 सदस्यों द्वारा इस समझौते पर साल 2019 में हस्ताक्षर किये जाने का अनुमान था परंतु भारत द्वारा नवंबर 2019 में इस समझौते से स्वयं को अलग करने के निर्णय के बाद अब बाकी के 15 देशों द्वारा आरसीईपी पर हस्ताक्षर किये गए हैं.
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