13 फरवरी 2015 को भारत ने सस्टेनेबल लाइवलीहुड्स एंड एडेप्टेशन टू क्लाइमेट चेंज ( टिकाऊ आजीविका और जलवायु परिवर्तन के अनुकूल-SLACC) परियोजना के वित्त पोषण के लिए विश्व बैंक से 8 मिलियन अमेरिकी डॉलर का करार किया है.
इस धनराशि का प्रयोग SLACC के तहत बिहार और मध्यप्रदेश में खेतिहर आजीविका में संलग्न ग्रामीण गरीबों की जलवायु परिवर्तन के साथ अनुकूलन क्षमता को सुधारने वाली विशेष परियोजनाओं को लागू करने में किया जाएगा.
यह अनुदान केंद्र सरकार द्वारा 2014 में स्थापित राष्ट्रीय अनुकूलन कोष (एनएफए) के अलावा होगा जिसमें कृषि अनुकूलन पैमानों के लिए 100 करोड़ रुपये अलग से रखे गए थे.
इसके अलावा, केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने हरित जलवायु कोष (जीसीएफ) के तहत जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन परियोजनाओँ को लागू करने के लिए एजेंसियों के चयन की प्रक्रिया शुरु कर दी है. जीसीएफ एक वैश्विक कोष है जिसकी स्थापना युनाइटेड नेशन फ्रेमवर्क कनवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज ( UNFCCC) के तहत 2010 में की गई थी. कोष का लक्ष्य 2020 तक 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है. इसका उद्देश्य विकासशील देशों को कम उत्सर्जन और जलवायु लोच विकास को प्रोत्साहित करना है.
SLACC परियोजना के बारे में
SLACC परियोजना का उद्देश्य सामुदायिक हस्तक्षेप के जरिए जलवायु परिवर्तनशीलता और कृषि आधारित आजीविका को प्रभावित करने वाले बदलावों के प्रति ग्रामीण गरीबों की अनुकूलन क्षमता में सुधार लाना है.
SLACC परियोजना के मुख्य लाभार्थी ग्रामीण–गरीब होंगें जिन्हें राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) का भी सहयोग मिलेगा. इसमें महिलाओं की स्वयं–सहायता समूह और उनके संघ, आम हित/ उत्पादक समूह जैसे किसान समूह, पशुधन चंडावल (रियरर) समूह और उनके उच्च क्रम वाले संग्राहक जैसे उत्पादक कंपनियां शामिल होंगी.
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