सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, मणिपुर के मंत्री को पद से हटाने का आदेश

Mar 19, 2020, 17:45 IST

सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये कड़ा फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि विधानसभा स्पीकर मंत्री के खिलाफ लंबे समय से फैसला नहीं ले रहे थे.

Supreme Court removes Manipur minister from state cabinet in hindi
Supreme Court removes Manipur minister from state cabinet in hindi

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में मणिपुर के वन मंत्री थोनाजम श्यामकुमार सिंह को पद से हटाने का आदेश दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अगले आदेश तक उनके विधानसभा में प्रवेश पर भी रोक लगा दी है. यह फैसला न्यायमूर्ति आरएफ नरीमन की पीठ ने सुनाया.

सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये कड़ा फैसला इसलिए लिया गया, क्योंकि विधानसभा स्पीकर मंत्री के खिलाफ लंबे समय से फैसला नहीं ले रहे थे. मंत्री की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य घोषित करने हेतु स्पीकर को फैसला लेना था.

मुख्य बिंदु

• सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 142 के अंतर्गत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल कर मंत्री को तत्काल प्रभाव से हटाने का फैसला दिया है. बेंच ने कहा कि अब इस मामले की अगली सुनवाई 30 मार्च को होगी.

• मंत्री की विधानसभा सदस्यता को अयोग्य घोषित करने हेतु स्पीकर को फैसला लेना था. इसके लिए स्पीकर को आदेश भी जारी किए गए थे. इस आदेश में कहा गया था कि वे चार हफ्तों में मंत्री की अयोग्यता पर फैसला लें. लेकिन स्पीकर ने इसे लेकर कोई भी फैसला नहीं लिया.

• श्यामकुमार ने कांग्रेस के टिकट पर 11वीं मणिपुर विधान सभा चुनाव लड़ा था और वो विधायक चुने गए थे.

• सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा कि संसद को फिर से विचार करना चाहिए कि अयोग्यता पर फैसला स्पीकर करे जो कि एक पार्टी से संबंधित होता है.

• पीठ ने सासंदों और विधायकों की अयोग्यता पर फैसला करने के लिए एक स्वतंत्र निकाय के गठन की भी वकालत की.

• सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अयोग्य ठहराए जाने पर त्वरित निर्णय लेने हेतु सेवानिवृत्त न्यायाधीशों या अन्य के न्यायाधिकरण की तरह एक स्वतंत्र निकाय होना चाहिए ताकि लोकतंत्र का काम ठीक से जारी रहे.

अनुच्छेद-142 क्या है?

यदि सुप्रीम कोर्ट को ऐसा लगता है कि किसी अन्य संस्था के जरिए कानून और व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए किसी तरह का आदेश देने में देरी हो रही है, तो कोर्ट खुद उस मामले में फैसला ले सकता है.

पृष्ठभूमि

थोनाजम श्यामकुमार साल 2017 में कांग्रेस के एक उम्मीदवार के तौर पर विधानसभा चुनाव जीते थे लेकिन बाद में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार में शामिल हो गए थे. उन्हें अयोग्य ठहराने संबंधी अर्जी अभी भी विधानसभाध्यक्ष के पास लंबित है. सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को जनप्रतिनिधियों को अयोग्य ठहराने संबंधी 13 अर्जियों पर निर्णय करने में अत्यधिक देरी को संज्ञान में लिया था जो अप्रैल 2017 से लंबित हैं.

Vikash Tiwari is an content writer with 3+ years of experience in the Education industry. He is a Commerce graduate and currently writes for the Current Affairs section of jagranjosh.com. He can be reached at vikash.tiwari@jagrannewmedia.com
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