Telecom Reform: केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में ऑटोमेटिक रूट से 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) को मंजूरी दे दी है. कैबिनेट की बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसकी जानकारी दी.
टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि आज टेलिकॉम सेक्टर के ऑटोमेटिक रूट में 100 फीसदी एफडीआई की अनुमति दी गई है. कैबिनेट ने कुल 9 स्ट्रक्चरल रिफॉर्म को मंजूरी दी है. इसके अलावा 5 प्रोसेस रिफॉर्म को मंजूरी दी गई है. इसके अलावा टेलीकॉम कंपनियों को एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू यानी AGR पेमेंट पर भी 4 साल की राहत मिलेगी.
Today the cabinet has decided to allow 100% FDI (Foreign Direct Investment) through automatic route in the telecom sector. All safeguards will be applicable: Ashwini Vaishnaw, Minister for Communications pic.twitter.com/0W7knYZ1Tn
— ANI (@ANI) September 15, 2021
KYC पूरी तरह से डिजिटल
15 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में टेलीकॉम सेक्टर से जुड़े कई सुधारों पर मुहर लगा दी गई. इससे इंडस्ट्री के साथ-साथ आम-आदमी को भी कई सहूलियतें मिलने जा रही हैं. अब से अगर आपको कोई नया मोबाइल नंबर या टेलीफोन कनेक्शन लेना है तो आपका KYC पूरी तरह से डिजिटल होगा. यानी KYC के लिए आपको किसी तरह का कोई कागज जमा नहीं करना होगा.
100% एफडीआई को मंजूरी
केंद्र सरकार ने टेलीकॉम सेक्टर में 100% एफडीआई को मंजूरी दे दी है. ये एफडीआई ऑटोमेटिक रूट से आएगी और सभी सुरक्षा उपायों का पालन किया जाएगा. एफडीआई से सेक्टर में निवेश बढ़ेगा, जिससे कंपनियां नई टेक्नोलॉजी विशेषकर 5जी पर निवेश कर पाएंगी और इससे ग्राहकों को नई और आधुनिक सुविधाएं मिलने की उम्मीद है.
होल्डिंग पीरियड 30 साल
सरकार ने स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क, लाइसेंस शुल्क इत्यादि को तर्कसंगत बनाने का भी निर्णय किया है जिस पर अभी भारी ब्याज लगता है. वहीं भविष्य में स्पेक्ट्रम की जो भी नीलामी होगी, उसका होल्डिंग पीरियड 30 साल होगा. इससे कंपनियों की लागत कम होगी और वो ग्राहकों को सस्ती सेवाएं दे पाएंगी. इतना ही नहीं 1953 के कस्टम नोटिफिकेशन में भी सरकार ने संशोधन किया है जिससे अब इस सेक्टर में लाइसेंस राज को समाप्त किया जाएगा.
टेलीकॉम सेक्टर के लिए लंबे समय से परेशानी
समायोजित सकल राजस्व (Adjusted Gross Revenu) का मुद्दा टेलीकॉम सेक्टर के लिए लंबे समय से परेशानी खड़ा करने वाला रहा है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद टेलीकॉम कंपनियां AGR बकाया चुकाने के बोझ तले दब गई थीं और टेलीकॉम सेक्टर में परेशानियों का एक नया दौर शुरू हुआ. लेकिन अब सरकार ने इसकी परिभाषा को बदलकर तर्कसंकत बनाने का निर्णय किया है.
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