प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में 24 जनवरी 2017 को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) विधेयक 2017 को मंजूरी प्रदान की गयी. इस विधेयक के लागू होने पर आईआईएम अपने छात्रों को डिग्री प्रदान कर सकेगा.
आगामी बजट सत्र में इस विधेयक को मंजूरी के लिए संसद में पेश किया जायेगा.
मुख्य बिंदु
• भारतीय प्रबंधन संस्थान विधेयक, 2017 में संस्थान को पूर्ण स्वायत्ता दी गई है जिसमें पर्याप्त जवाबदेही भी होगी.
• विधेयक में जिस ढांचे का प्रस्ताव है उसमें इन संस्थानों का प्रबंधन बोर्ड से संचालित होगा जहां संस्थान के अध्यक्ष और निदेशक बोर्ड द्वारा चुने जाएंगे.
• बोर्ड में विशेषज्ञों और पूर्ववर्ती विद्यार्थियों की अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी.
• विधेयक में आईआईएम के बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति और जनजाति के सदस्यों को शामिल किया जाने का भी प्रावधान दिया गया है.
• विधेयक में स्वतंत्र एजेंसियों द्वारा समय-समय पर संस्थानों के प्रदर्शन की समीक्षा का भी प्रावधान है तथा साथ ही यह भी कहा गया है कि इसके परिणाम सार्वजनिक किए जाएंगे.
• आईआईएम संस्थानों की वाषिर्क रिपोर्ट को संसद में पेश किया जाएगा और उनके खाते का ऑडिट कैग द्वारा किया जायेगा.
• विधेयक में आईआईएम के संयोजन फोरम का भी प्रस्ताव है जो सलाहकार संस्था के तौर पर काम करेगा.
पृष्ठभूमि
एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत होने के कारण प्रतिष्ठित आईआईएम वर्तमान में डिग्री देने के लिए अधिकृत नहीं हैं तथा प्रबंधन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा और फेलो प्रोग्राम की डिग्री देते हैं. हालांकि इन पाठ्यक्रमों को क्रमश: एमबीए और पीएचडी के बराबर माना जाता है लेकिन समानता वैश्विक रूप से स्वीकार्य नहीं है.

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