Inclusion of tribes in the ST category: प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पांच राज्यों की जनजातियों को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दे दी है. जिन राज्यों की जनजातियों को सूची में शामिल किया गया है, उनमें उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ राज्य शामिल हैं. इन जनजातियों को, अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने का फैसला काफी समय से लंबित था.
माननीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में वर्षों से लंबित पड़े जनजातीय विषयों से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर निर्णय लिए गए हैं: श्री @MundaArjun, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री pic.twitter.com/ZfUwX7lAFl
— Ministry of Tribal Affairs, Govt. of India (@TribalAffairsIn) September 14, 2022
किन जनजातियों को शामिल किया गया?
उत्तर प्रदेश: कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश राज्य के भदोही (पहले संत रविदास नगर) जिले में अपनी पांच उपजातियों (धुरिया, नायक, ओझा, पठारी और राजगोंड) के साथ 'गोंड' (Gonds) समुदाय को उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.
हिमाचल प्रदेश: हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के अंदर ट्रांस-गिरी क्षेत्र में रहने वाले हाटी या हट्टी (Hattee) समुदाय को राज्य में अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल किया गया है. इससे लगभग 1 लाख 60 हज़ार लोग अब इस सूची में शामिल हो गये है. यह निर्णय इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि हिमाचल में इस वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं.
तमिलनाडु: तमिलनाडु राज्य के नारीकोरवन (Narikoravan) समुदाय को कुरीविक्करन (Kurivikkaran) समुदाय में शामिल करने के, जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी गयी है. इसके लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में, संशोधन के लिए संसद में एक विधेयक पेश किया गया था.
कर्नाटक: कर्नाटक राज्य के 'बेट्टा-कुरुबा' (Betta-Kuruba) समुदाय को अब 'कडू कुरुबा' (Kadu Kuruba) समुदाय के पर्याय के रूप में जाना जायेगा. इसके लिए भी संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन किया गया था.
छत्तीसगढ़: केंद्रीय मंत्रिमंडल ने छत्तीसगढ़ राज्य के बिंझिया (Binjhia) भूईंया, भूईयां, भूयां और भरिया, सहित 12 समुदायों को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने की मंजूरी दे दी है.
क्या होती है,शामिल करने की प्रक्रिया?
यह प्रक्रिया राज्य सरकार द्वारा शुरू की जाती है. जनजातियों को संबंधित राज्य सरकारों की सिफारिश पर अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाता है. आगे इसकी समीक्षा के लिए केन्द्रीय जनजातीय मामलों के मंत्रालय को भेजा जाता है. उसके बाद इसे भारत के महापंजीयक को अनुमोदन के लिए भेजा जाता है. उसके बाद इसे राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की मंजूरी के लिए भेजा जाता है. अंत में इसे केन्द्रीय कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया जाता है.
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes)
गठन: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग संविधान का एक संवैधानिक निकाय है. इसे संविधान के अनुच्छेद 338 में संशोधन करके गठित किया गया था. वर्ष 2004 में अनुसूचित जाति व जनजाति हेतु दो अलग अलग राष्ट्रीय आयोगों का गठन कर दिया गया था. वर्तमान में अनुच्छेद -338A के तहत राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग कार्य कर रहा है.
उद्देश्य: इस आयोग के गठन का उद्देश्य, अनुच्छेद 338A के अंतर्गत किये गए विभिन्न सुरक्षा उपायों के कार्यान्वयन की देख-रेख करना है. साथ ही उनके उत्थान और संरक्षण के लिए उठाये गए कदमों का मूल्यांकन करना है.
संरचना: राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग में एक अध्यक्ष, एक उपाध्यक्ष और तीन पूर्णकालिक सदस्य होते है. पूर्णकालिक सदस्यों में एक महिला सदस्य भी होती है. आयोग के अध्यक्ष को केंद्रीय कैबिनेट मंत्री, और उपाध्यक्ष को राज्य मंत्री का दर्जा प्राप्त होता है. साथ ही सदस्यों को सचिव पद का दर्जा प्राप्त होता है.
नियुक्ति: अध्यक्ष सहित सभी की नियुक्ति राष्ट्रपति के आदेश के तहत की जाती है.
कार्यकाल: अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का होता है. इनके सदस्य 2 से अधिक कार्यकाल के लिये नियुक्ति नहीं हो सकते है.
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