केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितंबर 2018 को एक नई समग्र योजना ‘प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान’ (पीएम-आशा) को मंजूरी प्रदान की है. इस योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य दिलाना है, जिसकी घोषणा वर्ष 2018 के केन्द्रीय बजट में की गई है.
यह किसानों की आय के संरक्षण की दिशा में भारत सरकार द्वारा उठाया गया एक कदम है जिससे किसानों के कल्याण में काफी हद तक सहूलियत होने की आशा है. सरकार उत्पादन लागत का डेढ़ गुना तय करने के सिद्धांत पर चलते हुए खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (एमएसपी) में पहले ही वृद्धि कर चुकी है. यह उम्मीद की जा रही है कि एमएसपी में वृद्धि की बदौलत राज्य सरकारों के सहयोग से खरीद व्यवस्था को काफी बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी.
‘पीएम-आशा’ के घटक हैं:
• मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस)
• मूल्य न्यूनतम भुगतान योजना (पीडीपीएस)
• निजी खरीद एवं स्टॉकिस्ट पायलट योजना (पीपीपीएस)
• धान, गेहूं एवं पोषक अनाजों/मोटे अनाजों की खरीद के लिए खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) की अन्य मौजूदा योजनाओं के साथ-साथ कपास एवं जूट की खरीद के लिए कपड़ा मंत्रालय की अन्य वर्तमान योजनाएं भी जारी रहेंगी, ताकि किसानों को इन फसलों की एमएसपी सुनिश्चित की जा सके.
व्यय
• कैबिनेट ने 16,550 करोड़ रुपये की अतिरिक्त सरकारी गारंटी देने का फैसला किया है जिससे यह कुल मिलाकर 45,550 करोड़ रुपये के स्तर पर पहुंच गई है.
• इसके अलावा खरीद परिचालन के लिए बजट प्रावधान भी बढ़ा दिया गया है और पीएम-आशा के क्रियान्वयन के लिए 15,053 करोड़ रुपये मंजूर किये गये हैं.
सरकार की किसान अनुकूल पहल
सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के विजन को साकार करने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके तहत उत्पादकता बढ़ाने, खेती की लागत घटाने और बाजार ढांचे सहित फसल कटाई उपरांत प्रबंधन को सुदृढ़ करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है. अनेक बाजार सुधारों को लागू किया गया है. इनमें मॉडल कृषि उपज एवं पशुधन विपणन अधिनियम, 2017 और मॉडल अनुबंध खेती एवं सेवा अधिनियम, 2018 भी शामिल हैं. अनेक राज्यों ने कानून के जरिए इन्हें अपनाने के लिए आवश्यक कदम उठाये हैं.
एक नया बाजार ढांचा स्थापित करने के लिए भी प्रयास किये जा रहे हैं, ताकि किसानों को उनकी उपज के उचित या लाभकारी मूल्य दिलाये जा सकें. इनमें ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) की स्थापना करना भी शामिल है, ताकि खेतों के काफी निकट ही 22,000 खुदरा बाजारों को प्रोत्साहित किया जा सके. इसी तरह ई-नाम के जरिए एपीएमसी पर प्रतिस्पसर्धी एवं पारदर्शी थोक व्यापार सुनिश्चित करना और एक व्यवस्थित एवं किसान अनुकूल निर्यात नीति तैयार करना भी इन प्रयासों में शामिल हैं.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation